हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल नूंह हिंसा में मारे गए अभिषेक के घर पहुंचे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनके माता-पिता से एकांत में बात की और परिजनों ने अपनी मांगों को मनोहर लाल के सामने रखा। परिजनों ने कहा कि नूंह में जो हिंसा हुई है, उसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए, तभी अभिषेक की आत्मा को शांति मिलेगी। सीएम ने अभिषेक के माता-पिता से बात कर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया।
इस दौरान अभिषेक के परिजनों ने अपनी मांगों को दोहराते हुए परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आर्थिक मदद की मांग की। मुख्यमंत्री ने प्रशासन और संगठन के पदाधिकारी से बातचीत कर जल्द ही उचित समाधान करने का भरोसा दिया। साथ ही नौकरी के लिए परिवार के सदस्य को टेस्ट पास करने की बात कहीं। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल सेक्टर 13-17 की तरफ रवाना हो गए।
बता दें कि पानीपत का अभिषेक 31 जुलाई को नूंह में निकाली गई ब्रजमंडल यात्रा में पहली बार शामिल होने पहुंचा था। दो भाईयों में छोटा होने के साथ अभिषेक एंजल मॉल के पास मोटर मैकेनिक की वर्कशॉप चलाता था। पिता सतपाल सिंह चौहान गैस एजेंसी में कार्यरत हैं। नूंह में ब्रजमंडल यात्रा के दौरान अभिषेक हिंसा में मारा गया था। नूंह हिंसा के करीब डेढ़ माह बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल अभिषेक के परिवार से मिलने पहुंचे। जिसको लेकर अभिषेक के घर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के प्रबंध किए गए। मुख्यमंत्री सुबह अभिषेक के नूरवाला की धमीजा कॉलोनी स्थित आवास पर पहुंचे। यहां उन्होंने 10 मिनट तक अभिषेक के परिवार से मुलाकात की।
शिवसेना ने सीएम पर कसा था तंज
नूंह हिंसा के बाद अभिषेक के परिजनों को सांत्वना देने पहुंची शिवसेना ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर तंज कसा था। शिवसेना के नेताओं का कहना था कि हरियाणा का बेटा धार्मिक यात्रा में जाता है और शहीद हो जाता है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के पास समय नहीं है कि वह उनके परिवार वालों से मिल सकें व उन्हें आर्थिक मदद प्रदान कर सकें।
भविष्य में कोई नौकरी को न कर सके चैलेंज
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अभिषेक के परिजनों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि इस दुख की घड़ी में वह और प्रदेश सरकार परिवार के साथ हैं। उन्होंने नौकरी की बात पर परिजनों को समझाते हुए कहा कि प्रक्रिया के अनुसार ही नौकरी दी जाएगी। इसके लिए परिवार के किसी भी एक सदस्य को नियमानुसार टेस्ट आदि पास करना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई नौकरी को चैलेंज न कर सके। वहीं प्रशासन की ओर से अभिषेक के नाम पर शहीदी गेट बनने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इससे पहले उनके घर के पास शहीदी मार्ग का बोर्ड लगवाकर अमर बलिदानी अभिषेक मार्ग लिखवाया गया है।