हरियाणा सरकार द्वारा बजट में घोषित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लेकर प्रदेश के कर्मचारियों में जबरदस्त नाराजगी है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति (पीबीएसएस) के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने इसे “पेआउट स्कीम” बताते हुए कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ छलावा कर रही है। उन्होंने साफ किया कि यूपीएस न तो पेंशन स्कीम है और न ही यह कर्मचारियों के हित में है, बल्कि यह एनपीएस को और मजबूत करने का तरीका भर है।
यूपीएस: पेंशन नहीं, निवेश की चाल!
धारीवाल ने कहा कि यूपीएस की शर्तें साफ दिखाती हैं कि यह एक पेंशन योजना नहीं, बल्कि बाजार आधारित निवेश स्कीम है, जिसमें कर्मचारियों की पूरी जिंदगी की बचत को सरकार शेयर बाजार में लगाने की मंशा रखती है। उन्होंने बताया कि –
- यूपीएस पेंशन की गारंटी नहीं देता, बल्कि बाजार की अस्थिरता पर निर्भर है।
- कर्मचारियों के वेतन का 10% और सरकार का 18.5% अंशदान निवेश होगा, लेकिन इसका निश्चित रिटर्न नहीं है।
- ओपीएस की तरह जीवनभर पेंशन और डीए संशोधन की सुविधा नहीं होगी।
- कर्मचारी का अंशदान सेवानिवृत्ति पर भी वापिस नहीं मिलेगा।
- 25 साल की सेवा के बिना 50% पेंशन भी नहीं मिलेगी, जिससे लाखों कर्मचारी पेंशन से वंचित हो जाएंगे।
- परिवार पेंशन में भारी कटौती होगी, जिससे आश्रितों को आर्थिक असुरक्षा झेलनी पड़ेगी।
“न एनपीएस चाहिए, न यूपीएस लेंगे” – कर्मचारी एकजुट
प्रदेशभर में कर्मचारी संगठनों ने यूपीएस को सिरे से खारिज कर दिया है और ओपीएस की बहाली की मांग तेज कर दी है। धारीवाल ने सरकार को चेतावनी दी कि –
- 1 अप्रैल को सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन होगा और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
- 1 मई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय स्तरीय आंदोलन होगा, जिसमें लाखों कर्मचारी शामिल होंगे।
- यदि सरकार संघर्ष समिति से चर्चा कर ओपीएस बहाल नहीं करती, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
सरकार को दो टूक: ओपीएस बहाल करो!
धारीवाल ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मांग की कि यदि सरकार सच में कर्मचारियों के हित में है, तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी संघर्ष समिति से सुझाव लेकर ओपीएस बहाल करे। उन्होंने कहा कि यूपीएस और एनपीएस दोनों ही कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करते, इसलिए सरकार को जल्द से जल्द पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए।
आने वाले दिनों में यूपीएस के खिलाफ यह आंदोलन और तेज होगा। कर्मचारियों का कहना है कि वे अपनी पेंशन के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे और सरकार को मजबूर कर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करवाकर ही दम लेंगे।