Panipat, (आशु ठाकुर) : हरियाणा(Haryana) सरकार अब सरपंचों को अफसरों(facilities to Sarpanch) की तरह सुविधाएं देने जा रही है। सरकार ने सरपंचों का भत्ता बढ़ाने का प्रस्ताव(Proposal to increase allowance) तैयार किया है, जो जल्द ही लाया जा सकता है। विधानसभा चुनाव(Assembly elections) से पहले सरकार का यह कदम सरपंचों को अपने पक्ष में करने की कोशिश है, क्योंकि ई-टेंडरिंग(angry with e-tendering) के कारण सरपंच सरकार से नाराज चल रहे थे।
बता दें कि सरपंचों का यात्रा भत्ता (TA-DA) बढ़ाया जाएगा। अब हरियाणा में HCS अधिकारियों की तरह, सरपंचों को भी विभागीय काम के लिए 16 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से यात्रा भत्ता मिलेगा। इसके अलावा, कोर्ट केसों की सुनवाई के लिए भी सरपंचों को अब दोगुना पैसा मिलेगा। पहले उन्हें हाईकोर्ट केस के लिए 5 हजार और स्थानीय अदालत के केस के लिए 1100 रुपए मिलते थे। अब इसमें 5 गुना बढ़ोतरी की जाएगी। हरियाणा सरकार के पंचायत मंत्री महिपाल ढांडा(Panchayat Minister Mahipal Dhanda) ने कहा है कि सरपंचों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने प्रस्ताव मांगा है। कुरुक्षेत्र में 2 जुलाई को मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरपंचों के साथ बैठक में इसकी घोषणा की जा सकती है।

मंत्री ने बताया कि सरपंचों की मांग थी कि उनका अतिरिक्त शुल्क बढ़ाया जाए। सरपंचों का काफी पैसा तेल और अन्य कामों में खर्च हो जाता है। महिपाल ढांडा ने बताया कि मुख्यमंत्री और मंत्री के गांव के दौरे पर खर्च होने वाली राशि में भी बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। पहले मुख्यमंत्री के दौरे पर सरपंच को 5 हजार और मंत्री के दौरे के लिए 3 हजार रुपए मिलते थे। अब मुख्यमंत्री के दौरे पर 30 से 50 हजार रुपए और मंत्री के दौरे पर 20 से 25 हजार रुपए देने का प्रस्ताव है।

गांव-गांव जाकर समस्याएं सुन रहे मंत्री ढांडा
महिपाल ढांडा ने बताया कि आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत वे गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने पानीपत के फरीदपुर और महमदपुर गांवों का दौरा भी किया। हरियाणा में कुल 6228 ग्राम पंचायतें हैं और सरपंचों का गांवों में काफी प्रभाव होता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को गांवों से कम वोट मिले थे। भाजपा का वोट शेयर गांवों में पिछले बार के मुकाबले काफी कम हुआ है।

ग्रामीण एरिया से सीटें हारी भाजपा
लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ग्रामीण एरिया की लगभग सभी सीटें हार गई थी, जबकि कांग्रेस को मजबूती मिली है। ई-टेंडरिंग को लेकर भी सरपंच सरकार से नाराज थे। इस मुद्दे पर सरपंचों ने कई बड़े आंदोलन भी किए, लेकिन सरकार उन्हें पूरी तरह से मना नहीं पाई। विधानसभा चुनाव से पहले सरकार सरपंचों को रिझाने का प्रयास कर रही है और उन पर खुलकर धनवर्षा की जा रही है। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से सरपंचों का समर्थन प्राप्त होगा और वे चुनाव में भाजपा के पक्ष में काम करेंगे। सरकार का यह फैसला सरपंचों को संतुष्ट करने और उनके कामकाज में सहूलियत देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल सरपंचों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि गांवों में विकास कार्य भी तेजी से हो सकेंगे।