नूंह में हुए दंगों में पुलिस ने हिंसा के 8 महीने बाद बड़ी कार्रवाई की है। इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हुई थी। जिनमें हरियाणा पुलिस के 2 होमगार्ड और एक बजरंग दल कार्यकर्ता को भी मारा गया था। पुलिस ने हत्या-हमले के 20 आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 (यूएपीए) लगाया है।
बता दें कि अब आरोपियों को अग्रिम जमानत मिलना संभव नहीं हो पाएगा। जिसके लिए कोर्ट में उनकी जमानत याचिका का विरोध किया जा रहा है। अब तक इस केस में करीब 30 प्रतिशत आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। इस एफआईआर में पुलिस ने उठाए गए कदमों को आईपीसी के संज्ञान में रखते हुए हरियाणा पुलिस के दस्तावेजों से पता चला है कि जिसमें एक्ट को एफआईआर संख्या 253, 257 और 401 में जोड़ा गया है। एफआईआर 257 दो होमगार्ड की हत्या से संबंधित है, जो पथराव के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ड्यूटी पर थे। आरोपियों पर धारा 147, 148, 149, 186, 342, 332, 353, 307, 302, 333, 395, 397 व 120बी और शस्त्र अधिनियम की धारा 25, 54 और 59 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब यूएपीए जोड़ा गया है।

यूएपीए का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 (यूएपीए) का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं। जिसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

एक्टिविस्ट्स और आंदोलनकारियों पर भी हो सकता है इस्तेमाल
यूएपीए कानून के प्रावधानों का दायरा बहुत बड़ा है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल अपराधियों के अलावा एक्टिविस्ट्स और आंदोलनकारियों पर भी हो सकता है। यूएपीए के सेक्शन 2(0) के तहत भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल करने को भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किया गया है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर किसी शख्स पर यूएपीए के तहत केस दर्ज हुआ है, तो उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती।

