स्वैच्छिक रक्तदान आंदोलन की जननी पद्मश्री कांता कृष्णन का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं। कांता कृष्णन ने 1964 में चंडीगढ़ में ब्लड बैंक सोसायटी की सचिव के रूप में स्वैच्छिक रक्तदान आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसने लाखों लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया।

उनके प्रयासों की सराहना करते हुए भारत सरकार ने 1972 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा, उन्हें राष्ट्रपति स्वर्ण पदक, आईएसबीटीआई का मदर टेरेसा अवार्ड और 1996 में चंडीगढ़ प्रशासन का गणतंत्र दिवस पुरस्कार भी मिला। कांता कृष्णन के पति, स्वर्गीय सरूप कृष्णन, आईसीएस, हरियाणा के पहले मुख्य सचिव थे। उनके निधन पर समाज के विभिन्न वर्गों से श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।