पलवल सोहना रोड स्थित तीजों वाले मंदिर पर कदीमी कुश्ती दंगल में पहलवानों के दांवपेच देखने को मिले। दर्शकों ने खेल का बेहद आनंद लिया। दो पहलवानों के बीच 1 लाख रुपये की ईनामी कुश्ती बराबरी पर छूटी। वहीं दर्जनों पहलवानों ने बड़ी कुश्तियों में आरपार कर ईनाम जीते।
सौ रुपये से लेकर 1 लाख तक का ईनाम दंगल में रखा गया
तीजों वाले मंदिर पर सैंकड़ों वर्षों से लगाए जा रहे कुश्ती दंगल में प्रदेश के अलग-अलग जिलों के अलावा यूपी और राजस्थान के पहलवानों ने दंगल में आकर अपना कुश्ती का हुनर और दांवपेच दिखाया। दंगल में ₹100 की छोटी इनामी राशि की कुश्ती से लेकर ₹100000 तक के इनामी कुश्ती कराई गई।
दंगल में पहलवानों की स्वस्थ कुश्ती प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। जिन जोड़ियां के हाथ मिलाए गए उन जोड़ियां ने दंगल के बीच में आकर एक दूसरे को हराने की खूब जो आजमाइश की और अपने-अपने दांव पेचों को आजमाते हुए प्रतिद्वंदी को पटखनी देने की कोशिशें की। जिसमें कुछ कामयाब रहे तो कुछ की कोशिश है कामयाब नहीं हो पाई।
किन नामी पहलवानों के बीच हुई कुश्ती
दंगल की सबसे बड़ी कुश्ती संजय अखाड़ा घोड़ी के युधिस्टर पहलवान और मथुरा के लीलू अखाड़े के उमेश पहलवान के बीच में हुई। दोनों पहलवानों के बीच 12 मिनट तक जोर आजमाइश हुई। लेकिन पूर्व घोषित समय 12 मिनट के अंदर हार जीत का फैसला नहीं होने पर कुश्ती बराबरी पर छुड़वा दी गई।
दंगल में दूसरी नामी कुश्ती संजय अखाड़े के दीपक पहलवान और मथुरा के फारेन गांव के सीताराम पहलवान के बीच में हुई। 31000 रुपए के इनामी कुश्ती राजस्थान के डीग मोना पहलवान और पलवल पंचवटी अखाड़े के सचिन के बीच कराई गई।
संजय अखाड़ा घोड़ी के हितेश और कोंडल गांव के पहलवान सूरज के बीच शानदार कुश्ती हुई। ग्यारह हजार रुपये की ईनामी कुश्ती में संजय अखाड़ा घोड़ी के रजत पहलवान ने विकाश पहलवान को चारों खाने चित्त कर ईनाम जीत कर दर्शकों को खुश कर दिया।
हर साल आसपास के क्षेत्रों में कराए जाते हैं 50 दंगल
किसान नेता रतन सिंह सौरौत ने बृज क्षेत्र के कुश्ती दंगल और पहलवानों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि तीज के त्यौहार के साथ इस क्षेत्र में जंगलों की बाहर से आ जाती है।
एक के बाद एक लगातार लगभग 50 दंगल आसपास के क्षेत्र में कराए जाते हैं। जिसमें हरियाणा ही नहीं यूपी और राजस्थान व दिल्ली के पहलवान हिस्सा लेते हैं। तीज के त्यौहार के अवसर पर लगाए जाने वाला कदीमी दंगल सैंकड़ों वर्षों से हर साल लगाया जाता हैं।
उन्होंने बताया कि पहलवान मिट्टी और मेथी खुशियों की दोनों प्रकार की तैयारी रखते हैं। जिस मिट्टी की कुश्ती के दंगल का निमंत्रण आने पर वह मिट्टी की कुश्ती में भाग ले लेते हैं और जब मैट की कुश्ती होती है तो मैट पर अपना दम-खम दिखाते हैं।