पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में आये एक अलग से मामले में, एक प्रेमी जोड़े ने अपनी सुरक्षा के लिए अदालत में याचिका दाखिल की है। अदालत ने पुलिस से मामले की स्थिति रिपोर्ट देने के लिए आदेश जारी किए हैं। पुलिस ने बताया कि लड़की के माता-पिता बहुत साल पहले मर चुके हैं और इसके चलते उन्हें धोखाधड़ी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि अदालत ने धोखाधड़ी मानते हुए सख्त कार्रवाई की जाने के लिए आदेश दिए हैं और अगली सुनवाई के लिए याचिकाकर्ताओं से जवाब मांगा है। इसके अलावा एक और प्रेमी जोड़े ने भी अपनी सुरक्षा के लिए अदालत में याचिका दाखिल की है। इन जोड़ों की विवाह में इस्तेमाल हो रही वरमाला और फूलों की बनावट एक जैसी है। जिससे अदालत ने धारा 21 और 226 के खिलाफ इंगीत की गई है। भारतीय संविधान में हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के प्रावधानों का पालन किए बिना इस तरह के तेजी से किए जा रहे विवाह के बाद सुरक्षा की मांग करने पर अदालत ने विचार किया है। अदालत ने पुलिस से कहा कि कई लोग अब अपना जीवनसंग बनाने के लिए शादी कराने का धंधा खोल रहे हैं, जो धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और शादी कराने वाले दुकानदारों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
2002 और 2010 में जारी हो चुके मृत्यु प्रमाण पत्र
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने कहा कि इसमें जानबूझकर धोखाधड़ी की गई है। अदालत का कहना कि लड़की को अपने माता-पिता की मौत का पता होना संभव नहीं है और पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इनके मृत्यु प्रमाण पत्र 2002 और 2010 में जारी किए गए थे। मामले में अदालत ने समाज में हो रहे धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के उल्लंघन को देखते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अदालत ने गंभीरता से लिया मामला
अदालत का कहना कि ऐसे मामलों में समाज को नुकसान हो रहा है और इन प्रकार के धोखाधड़ी मामलों में जांच होनी चाहिए, ताकि यह अव्यवस्था बढ़ती न रहे। इस मामले से साफ है कि ऐसे धोखाधड़ी मामलों को गंभीरता से लेकर देखा जा रहा है और अदालत समाज के मौलिक मूल्यों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठा रही है। शादी कराने वालों और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होने की मांग करती है, ताकि धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की पालना हो सके और समाज में सुरक्षा बनी रहे।