पानीपत शहर के बहुचर्चित मामला नगर निगम वार्ड 2 के पार्षद पवन कुमार को जातिसूचक शब्द कहने और जान से मारने की धमकी देने के दर्ज मुकदमे में बड़ा मोड़ सामने आया है। 7 माह से चली जांच के दौरान डीएसपी ने दर्ज केस को रद्द करते हुए कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल कर दी है। आरोप थे कि पार्षद को थाने में पूर्व सरपंच ने जातिसूचक शब्द कहे थे।
इसकी सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने जब खंगाली तो खुलासा हुआ कि थाने में पूर्व सरपंच एक बार भी पार्षद से बोला ही नहीं। बल्कि वह पुलिस से मिलने के बाद कुछ ही देर में थाने से चला गया था। जिसके साथ उसका वकील साथी भी उस वक्त मौजूद था। अब पूर्व सरपंच, पार्षद सहित चारों फर्जी गवाहों पर 50 लाख की मानहानि समेत अन्य धाराओं में कार्रवाई करवाने के लिए कोर्ट में याचिका डालने की तैयारी में है।
पति-पत्नी के विवाद में गए थे दोनों पक्ष थाने में
एडवोकेट आजम खान ने बताया कि 22 अप्रैल 2023 को जावा कॉलोनी की रहने वाली एक महिला ने अपने पति, ससुर समेत ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, रेप व अन्य आरोपों के तहत तहसील कैंप थाना पुलिस को शिकायत दी थी। 8 मई को लड़का पक्ष ने चंदौली गांव के पूर्व सरपंच रुपचंद को फोन कर केस के मामले में थाने में बुलाया।
एडवोकेट ने बताया कि पूर्व सरपंच ने जानकारी होने के नाते उसे भी थाने में बुलाया। जहां लड़का पक्ष ने उन्हें बताया कि लड़की वाले उनकी प्रॉपर्टी अपने नाम करवाने के लिए ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर करवा रहे हैं। जिस पर एडवोकेट ने जांच अधिकारी एचसी सुनीता को बताया कि जमीन संबंधित सभी काम कोर्ट में ही होते हैं, ये काम थाने में नहीं हो सकता है।
10 मिनट में निकल गए थे दोनों थाने से
एडवोकेट का कहना है कि यह बात सुनकर लड़की पक्ष की ओर से आए हुए वार्ड 2 के पार्षद पवन कुमार समेत अन्य लोग तैश में आ गए और वे बोलने लगे कि उनका काम खराब कर दिया। वरना, वे प्रॉपर्टी को लड़की के नाम करवा देते। उनका रुपचंद व एडवोकेट ने कोई जवाब नहीं दिया। वे महज 10 मिनट की जांच अधिकारी व लड़का पक्ष से बातचीत करने के बाद थाने से बाहर अपने घर चले गए। करीब 1 घंटे बाद थाने से रूपचंद को थाने से फोन गया और कहा कि उनके खिलाफ पार्षद ने जातिसूचक शब्द कहने के आरोपों की शिकायत दी है।
कोर्ट में डाली थी याचिका, सीसीटीवी करें सुरक्षित
इसके बाद रूपचंद फिर से एडवोकेट आजम के साथ थाने में गया। जहां वे जांच अधिकारी से मिले और पूरी बात कहने-सुनने के बाद रात 9 बजे थाने से फिर घर चले गए। अगले दिन अखबार के जरिए पता लगा कि उस पर केस दर्ज हुआ है। फिर वे एसपी और डीएसपी के पास गए, लेकिन उसकी कोई मदद नहीं हुई।
पूर्व सरपंच रूपचंद ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन जमानत रद्द कर दी। इसके बाद मामले की शिकायत केंद्र से लेकर राज्य सरकार को दी गई। साथ ही पानीपत की कोर्ट में उक्त दिन की थाना परिसर की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित करने के लिए याचिका डाली। इसके बाद मामले की जांच लगातार पुलिस द्वारा की गई।
डीएसपी की जांच रिपोर्ट- दोनों का तालमेल भी नहीं हुआ
मामले की जांच करते हुए डीएसपी सिटी सतीश गौतम द्वारा थाने के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। जिसमें पार्षद द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे साबित होने पर केस रद्द कर रिपोर्ट को कोर्ट में दाखिल किया गया। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि उस दिन दोनों पक्षों का थाना परिसर में कोई आपसी तालमेल हुआ ही नहीं है। न ही कोई गाली-गलौज एवं जातिसूचक शब्द कहे हैं। सभी आरोप गलत साबित हुए हैं।
इन पर कार्रवाई की तैयारी
एडवोकेट आजम खान का कहना है कि अब, 50 लाख की मानहानि वार्ड 2 पार्षद पवन कुमार व मामले में झूठे गवाह बने इशम पंचाल, विनोद, मोहन प्रजापत, नरेश के खिलाफ कोर्ट में दायर की जाएगी। साथ ही इसमें आईपीसी 211, 182, 499 व 500 के तहत केस दर्ज करने की भी अपील की जाएगी।