(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) हिन्दू जन जागृति मंच द्वारा 10वें Guru Gobind Singh जी के 320वें शहीदी दिवस के अवसर पर एक श्रृद्धांजलि यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को समर्पित थी। यात्रा का शुभारंभ रेलवे स्टेशन से हुआ और यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जीटी रोड पर समाप्त हुई। यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु सतनाम श्री वाहेगुरु का जाप करते हुए गुरुद्वारा साहिब पहुंचे।

इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने चारों साहिबजादों की शहादत पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह, 8 और 5 साल की उम्र में जिंदा दीवार में चिनवा दिए गए थे। इसके साथ ही उन्होंने चमकौर के किले में 23 दिसंबर 1704 को 10 लाख मुगल सैनिकों से लोहा लेते हुए बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह के बलिदान के बारे में भी विस्तार से बताया।

गुरु गोबिंद सिंह जी के योगदान को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि गुरु जी को ‘सरबंस दानी’ उपाधी दी गई, क्योंकि उन्होंने मुगलों से लोहा लेते हुए अपने परिवार के 7 सदस्यों का बलिदान कर दिया। उनके परिवार के बलिदान पर गुरु जी ने कहा था, ‘चार पुत वारे, पंचवीं मां वारी, छठा बाप वारया और सातवां आप वारया।’ गुरु जी ने हमेशा कहा कि उनके बच्चों के बलिदान के बाद भी हजारों लोग जीवित रहेंगे।
इस मौके पर गुरुद्वारा जीटी रोड के प्रधान गोपाल सिंह, गुरजीत सिंह, नानक सिंह, विकास छौकर, सूरत सिंह, नफे सिंह, पूर्व सरपंच वेद, भुनेश छोक्कर, नवाब सिंह, बिरजू पटीकल्याणा, गुरचरण सिंह, जरनैल सिंह, कुलदीप, सोनू ढोडपुर, अनिल चुलकाना, डॉक्टर विजेंद्र रोहिल्ला, जनेश्वर दत समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।