Panipat, (आशु ठाकुर) : इस्कॉन कुरुक्षेत्र(ISKCON Kurukshetra) व इस्कॉन प्रचार समिति(ISKCON Prachar Samiti) पानीपत के संयुक्त तत्वाधान में ऐतिहासिक नगरी पानीपत में श्रीमद् भागवत कथा(Shrimad Bhagwat Katha) व भगवान श्री कृष्ण बलराम रथयात्रा महोत्सव(Krishna Balram Rath Yatra Festival) का आयोजन किया जा रहा है।
प्रातकालीन सत्र में एक प्रभात फेरी का आयोजन किया गया जो कि हरि नाम का संकीर्तन करते हुए स्थानीय सेक्टर 12 के.के. गर्ग के निवास स्थान से शुरू होकर सेक्टर 12 की विभिन्न गलियों से होते हुए लोगों को श्रीमद भगवत कथा सुनने के लिए, भगवान श्री कृष्ण बलराम रथयात्रा एवं श्री कृष्ण भक्ति के लिए प्रेरित किया। श्री राधा कृष्ण मंदिर सेक्टर 11 के यहां प्रभात फेरी का समापन हुआ। श्रीमद् भागवत कथा के छटे दिन सायंकालीन सत्र इस्काॅन कुरूक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल दास(Sakshi Gopal Das) ने कथा व्यास में बताया कि शुकदेव गोस्वामी कहते है कि राजन पापों से पूर्णतया मुक्ति प्राप्त करने के लिए दुनिया में केवल एक ही उपाय है, ‘भक्ति’, वासुदेव, भगवान श्री कृष्ण के शरणागति लें और उनकी भक्ति में लग जाए, जब भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरणागति लेते है, उनके भक्ति में लगा जाता है, तो भक्ति की शक्ति से जीव आत्मा के जितने पाप होते हैं, वह जड़ से नष्ट हो जाते हैं।

पाप की वासना भी हृदय में नहीं रहती है, भक्ति की शक्ति के सामने, जैसे जब सूर्यदेव भगवान के प्रकट होते ही कोहरा व अंधकार नष्ट हो जाता है। ऐसे ही जिसके जीवन में जिसके हृदय में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का उदय हो जाता है, तो भक्ति तुरंत उस व्यक्ति के पापों को निगल जाती है, नष्ट कर देती है और शुकदेव गोस्वामी कहते है कि हे राजन यदि कोई पापी प्राणी प्रभु के प्रमाणिक भक्त की सेवा में लग जाता है और इस प्रकार अपने जीवन भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में न्यौछावर कर देता है, तो वह तुरंत शुद्ध ही जाता है। केवल तपस्या, कठोर साधना, ब्रह्मचर्य का पालना करना और अन्य प्रश्चित के द्वारा जीवन शुद्ध नही हो सकता जो में पहले वर्णन कर चुका हूं कि चेतना केवल भक्ति द्वारा पवित्र होती है। जो व्यक्ति तपस्या नही करेगा वो ज्ञान(knowledge) प्राप्त नहीं कर सकता, जब भौतिक ज्ञान(knowledge) की प्राप्ति के लिए तपस्या जरूरी है, तो ज्ञान(knowledge) को संभालने के लिए भी तपस्या जरूरी है।

इन चार त्यागों को करने से देंगे श्रीकृष्ण ध्यान
भगवान श्री कृष्ण की भक्ति प्राप्त करनी है, तो उससे चार तपस्या करने होगे पहले तपस्या उससे भगवान को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करना होगा। दूसरी तपस्या उससे शराब आदि का त्याग करना होगा। तीसरी तपस्या उससे जुआ आदि का त्याग करना होगा और चौथी तपस्या उससे अपनी पत्नी के अलावा किसी ओर की तरफ नहीं देखना। यानी पराई स्त्री के तरफ नही जाना, जो व्यक्ति ये ये चार तपस्याओं का पालन करता है और प्रतिदिन महामंत्र की 16 माला का जाप करता है, तो वह व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण के भक्ति में लग जाता है और भगवान उससे बहुत प्रसन्न हो जाते है और उसपे अपने कृपा बनाए रखते है।
आत्मा की भूख शांत करने की खुराक
साक्षी गोपाल दास ने हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे महामंत्र का जाप करने की विधि सभी भक्तजनों को विस्तारपूर्वक बताई और भक्तजनों को कम से कम दो माला जपने की सलाह दी कि यह महामंत्र हमारे आत्मा की भूख को शांत करने के जरूरी खुराक है। इस महामंत्र के जपने से हमारे सभी दुखो को सहन करने के शक्ति मिलती है और भगवान नारायण की माया हमे अपने जाल में नही फसाएगी और एक सुंदर भजन गायाये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नही है, यहां सर देके होते है सौदे आशिकी इतनी सस्ती नही है’ नामक भजन पर सभी को नृत्य करने के लिए प्रेरित किया।

ये रहे मौजूद
श्री लीलाधर व उसकी टीम ने सभी भक्तजनों को भंडारे का भव्य प्रसाद का वितरण किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी महेश थरेजा व रविंद्र सैनी एमजेआर स्कूल ने साक्षी गोपाल दास से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस मौके पर इस्कॉन प्रचार समिति के अध्यक्ष सुन्दर लाल चुघ, आशु गुप्ता, अशोक गोयल, बोबी गुप्ता, विशाल गोयल, सतीश बुधीराजा आशीष अग्रवाल, अरविंद सिंघल, इंद्रजीत कथूरिया, देवेंद्र महाजन, सन्नी अग्रवाल, संजय मंगला, पंकज शर्मा, शशि शर्मा, ओम कृष्ण दास इत्यादि उपस्थित रहे।







