Panipat की आधुनिकता में संस्कार(Sanskar) धूमिल न हो जाए। ये शब्द सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति सुरेश तायल ने कहे, जो कि सबको रोशनी फाउंडेशन(Sabko Roshni Foundation) द्वारा आयोजित कार्यकर्ता बैठक(Meeting) को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पानीपत एक औद्योगिक नगर है, औद्योगिक नगर की भाग दौड़ आधिकारिक होती जा रही है और महानगरीय रूप ले रही ऐसे में जरूरी है कि हम अपने मूलभूत मूल्य(Value) को न भूलें।
आपको रोशनी फाउंडेशन अध्यक्ष सतवीर गोयल एवं कोषाध्यक्ष हरीश बंसल ने कहा कि सबको रोशनी फाउंडेशन के माध्यम से पानीपत में ऐसे प्रकल्प लाने की आवश्यकता है। जिससे परिवार एकजुट होकर लोक अधिकार अधिक समय अपने परिवारों को दें, मोबाइल से थोड़ी दूरी बनाएं एवं पुराने संस्कारों का महत्व अपने जीवन में बढ़ाएं। हमारी संस्कृति महामानवों की टकसाल रही है, हर व्यक्ति का आचरण देवत्व से भरपूर रहा है। इन सब के पीछे उनका प्रेरणाप्रद बचपन था। हम सब जानते हैं कि हमारे व्यक्तित्व का विकास 5-7 वर्ष की उम्र तक हो जाता है, जिसे ध्यान में रखते हुए संस्कार परिपाटी का प्रचलन आरम्भ से हो रहा है।

पारिवारिक पंचशील और आस्तिकता से ओतप्रोत उत्कृष्ट वातावरण से बच्चों के दिव्य संस्कारों का रोपड़ सहज हो जाता था। बालक के बहुआयामी व्यक्तित्व के गढ़ने में माता पिता गुरु होते थे। वही समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान होता था। सबको रोशनी फाउंडेशन के संस्थापक संयोजक विकास गोयल ने कहा कि वर्तमान समस्याओं का एक मुश्त समाधान तथा श्रेष्ठ नागरिक गढ़ने का एक मात्र विकल्प बालकों को संस्कारवान बनाना है। बाल संस्कार शाला इसी महती आवश्यकता को पूर्ण करता है। नौनिहालोन के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास की इस योजना में उन्हें मानवीय मूल्यों, सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया जाता है।

बालक गीली मिट्टी के समान, सांचे में ढालना आवश्यक
विकास गोयल ने कहा कि बच्चों के माध्यम से सांस्कृतिक सामाजिक परिवर्तन सरल है। बालक एक गीली मिट्टी के सामान है, जिसे किसी भी सांचे में ढाला जा सकता है। अतः बाल संस्कार शाला सञ्चालन के माध्यम से ईश्वरीय विभूतियों से परिपूर्ण परिवार, समाज व राष्ट्र के इस उज्जवल भविष्य को गढ़ने का गौरव हम पाएं। इस मौके पर सुनील तुली, राजीव तुली, सुरेंद्र भट्टी, नवीन गर्ग, अमित गोयल, सुमित मित्तल, प्रधानाचार्य मुकेश सोमदत्त, नवीन वर्मा, बीएल गुप्ता आदि मौजूद रहे।