(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) पानीपत के खंड समालखा के मॉडल टाउन स्थित रघुनाथ मंदिर के नए भवन परिसर में 3 दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर हरिद्वार के कनखल से महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता शुक्रवार को रघुनाथ मंदिर में पहुंची। जिनका लोगों ने ढोल नगाड़ों के साथ अभिनंदन किया गया। सभा के सभी सदस्यों ने फूलमालाओं से संतोषी माता का स्वागत किया। वहीं महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने रघुनाथ मंदिर में सत्संग का शुभारंभ किया।
महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने बताया कि स्वर्गीय डॉ. हंसराज गुलाटी ने जागरण द्वारा दान राशि एकत्रित करके इस मंदिर का नाम निर्माण किया था। मंदिर में अलग-अलग दिशाओं में देवी, देवता विराजमान हैं। महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि मंदिरों में इतने भगवान क्यों होते हैं, यही तो सनातन धर्म की सुंदरता है। भारतीय संस्कृति की महानता है कि हम अनेक देवी-देवताओं का पूजन करते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य धर्म वालों के पास एक ही भगवान होते हैं, जबकि सनातनियों के पास 35 करोड़ देवी देवता हैं, जिनकी पूजा अर्चना की जाती है। इसमें प्रमुख देव पंचदेव हैं, जिनकी वैदिक उपासना की जाती है। प्रथम भगवान सूर्य नारायण, द्वितीय श्री गणेश जी, तृतीय मां दुर्गा, चतुर्थ भगवान शंकर और हरे विष्णु जी की पूजा की जाती है।

उन्होंने बताया कि मनुष्य के शरीर में आत्मा है, परंतु आत्मा का कोई रंग, कोई लिंग, कोई जाति दिखाई नहीं देती। सारी इंद्रियां उसी की प्रेरणा से चलती हैं। असुंदर शरीर आत्मा की वजह से सुंदर है। अपवित्र शरीर आत्मा की वजह से ही पवित्र है। अमंगलकारी शरीर आत्मा की वजह से ही मंगलकारी है। आत्मा निकल जाती है तो इस शरीर को अमंगल, अशुभ घोषित किया जाता है। इसको मिट्टी तथा अग्नि में सुपुर्द कर दिया जाता है।

इससे पहले बजरंग सेवा मंडल के अध्यक्ष विनोद मल्होत्रा ने मां मेरी मुस्कान आपकी वजह से है… सुंदर भजन सुनाकर सभी का मन मोह लिया। इस दौरान रघुनाथ मंदिर सभा के सभी सदस्यों और महिला संकीर्तन मंडल की सभी सदस्यों ने माता संतोषी का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर प्रदुमन गुलयानी, डॉ. नरेश गुलाटी, इंद्र कुमार, आत्मप्रकाश, मंगतराम, पवन गर्ग, सुदेश, अंजलि, राजकुमार गर्ग और हरकेश वाधवा सहित काफी श्रद्धालु मौजूद रहे।


