OP Chautala's Asthi Kalash Yatra moves from Panipat to Karnal, PM likely to attend the turban ceremony on 31st

Panipat से Karnal की ओर बढ़ी OP चौटाला की अस्थि कलश यात्रा, 31 को रस्म पगड़ी में PM की शिरकत संभव

पानीपत करनाल

Haryana के पूर्व मुख्यमंत्री OP चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का आज रविवार को आखिरी दिन है। यात्रा रविवार सुबह Panipat के PWD रेस्ट हाउस से शुरू होकर Karnal के लिए रवाना हुई। यह यात्रा करनाल, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर होते हुए शाम को पंचकूला में समाप्त होगी। इस यात्रा के तीसरे दिन में सभी 22 जिलों का कवर किया जाएगा।

ओपी चौटाला का 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हुआ था। उनकी रसम पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को सिरसा के चौधरी देवीलाल स्टेडियम में आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।

यात्रा की शुरुआत और मार्ग

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ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा 27 दिसंबर को फतेहाबाद से शुरू हुई थी। इस यात्रा की शुरुआत उनके विधायक पोते अर्जुन चौटाला और विधायक भतीजे आदित्य देवीलाल चौटाला ने की थी। इसके बाद यात्रा हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ (नारनौल), रेवाड़ी से होते हुए गुरुग्राम पहुंची, जहां रात्रि ठहराव हुआ।

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दूसरे दिन यात्रा गुरुग्राम से शुरू होकर 7 जिलों से गुजरी। यात्रा फरीदाबाद, पलवल, मेवात, झज्जर, रोहतक और सोनीपत होते हुए पानीपत पहुंची, जहां रात्रि ठहराव था।

सियासी मायने

इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा का कहना है कि यह यात्रा उन लोगों के लिए निकाली जा रही है जो ओपी चौटाला के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे। हालांकि, इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।

  1. इनेलो का वोट बैंक एकजुट करना: ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा इनेलो के कैडर वोट बैंक को एकजुट करने का एक प्रयास है। 2018 में अजय चौटाला द्वारा जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन किए जाने के बाद इनेलो का वोट बैंक बंट गया था। कुछ लोग इनेलो में ही रहे, जबकि अन्य JJP में चले गए। परिवार में चल रही राजनीति और पार्टी में टूट के कारण कई बड़े नेता इनेलो छोड़ चुके हैं।
  2. विधानसभा चुनाव में इनेलो की वापसी: इस साल कांग्रेस की लगातार तीसरी हार के बाद इनेलो को लगता है कि अब वोटर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को विकल्प के रूप में नहीं देख रहे। ऐसे में इनेलो को लगता है कि पार्टी की वापसी हो सकती है। विधानसभा चुनाव में JJP जीरो सीट पर सिमट गई, जबकि इनेलो दो सीटें जीतने में सफल रही। हालांकि अभय चौटाला खुद चुनाव हार गए थे, लेकिन उनके उम्मीदवार अधिकतर जगहों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे।
  3. चुनाव चिन्ह ‘चश्मा’ का खतरा: इनेलो के सामने पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘चश्मा’ खोने का खतरा भी मंडरा रहा है। इस बार इनेलो को इसे बचाने के लिए विधानसभा चुनाव में 6% वोट की आवश्यकता थी, लेकिन पार्टी सिर्फ 4.14% वोट ही पा सकी। यदि चुनाव चिन्ह छिन जाता है, तो इनेलो के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा।

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