हरियाणा के Panipat में नगर निगम चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सभी उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। मेयर के लिए कोमल सैनी का नाम घोषित करके भाजपा ने चौंकाया, वहीं पार्षदों के उम्मीदवारों की लिस्ट ने कई बड़े नेताओं को झटका दिया है।
लोकेश नांगरु और अन्य नेताओं का नाम सूची से बाहर
मेयर पद के दावेदारों में शामिल लोकेश नांगरु का नाम पार्षद उम्मीदवारों की सूची से हटा दिया गया है। इसके अलावा भाजपा के महामंत्री रवींद्र भाटिया, स्व. हरीश शर्मा की बेटी अंजली शर्मा, और अन्य कई प्रमुख नेताओं के नाम भी सूची से बाहर हो गए हैं। 26 उम्मीदवारों में से केवल 5 नाम पहले से थे, जबकि 21 नए चेहरे सामने आए हैं।
प्रमोद विज के करीबी समर्थकों को मिली प्राथमिकता
पानीपत नगर निगम चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में ज्यादातर नाम उन नेताओं के हैं जो विधायक प्रमोद विज के करीबी समर्थक माने जाते हैं। प्रमोद विज की सिफारिश से कई उम्मीदवारों को टिकट मिल पाया है। हालांकि, तुषार खरबंदा जैसे कुछ नेताओं को टिकट नहीं मिल सका, लेकिन कुल मिलाकर भाजपा ने विज के पसंदीदा चेहरों को जगह दी है।
भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में प्रमुख नाम
पानीपत के 26 वार्डों में जिन नेताओं को टिकट मिला है, उनमें से प्रमुख नामों की सूची इस प्रकार है:
- अनीता परुथी
- काजल शर्मा
- अनिल बजाज
- पंकज खुसरीजा
- जयदीप अरोड़ा
- कोमल पांचाल
- अशोक कटारिया
- सुदेश कश्यप
- नवल जिंदल
- कमल अरोड़ा
- अंजना गुर्जर
- अश्वनी
- सर्वेश शर्मा
- अजित कुमार
- अमित नारंग
- अन्नू शर्मा
- रजनी गर्ग
- कुलदीप कुमार स्वामी
- नेहा शर्मा
- तरुण गांधी
- संजीव दहिया
- रॉकी गहलोत
- अनिल मदान
- सांची
- मंजीत कौर
- कुसुम भट्ट
पार्षद और मेयर के उम्मीदवारों में बदलाव
भाजपा ने इस बार केवल पांच पुराने चेहरों को रिपीट किया है। इनमें अनीता परुथी, अनिल बजाज, अशोक कटारिया, संजीव दहिया, और मंजीत कौर शामिल हैं। कुसुम भट्ट को दुष्यंत भट्ट के स्थान पर टिकट दिया गया है। इसके अलावा 21 नए चेहरों को मौका मिला है। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष अनिल मदान और पूर्व सांसद संजय भाटिया के दामाद तरुण गांधी को भी टिकट मिला है। कोमल सैनी, जो पहले पार्षद थीं, अब उन्हें मेयर का उम्मीदवार बनाया गया है।
भाजपा की चुनावी रणनीति
पानीपत नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा की इस उम्मीदवारों की सूची ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है। भाजपा के नए चेहरों को टिकट मिलने से यह स्पष्ट है कि पार्टी ने नए और पुराने नेताओं का संतुलन बनाने की कोशिश की है। अब यह देखना होगा कि ये उम्मीदवार चुनावी मैदान में किस तरह से अपनी जीत की रणनीति को लागू करते हैं।