5th Guru Arjun Dev

Samalkha में 5वें Guru Arjun Dev की याद सुखमणी साहिब के पाठ ने 35वें दिन में किया प्रवेश

पानीपत

Samalkha से अशोक शर्मा की रिपोर्ट : गुरूनानक दरबार साहिब माडल टाऊन में 5वें गुरु श्री अर्जुन देव(Guru Arjun Dev) जी की याद में स्त्री सत्संग सभा द्वारा किए जा रहे सुखमणी साहिब के पाठ 35वें दिन में प्रवेश कर गए। भाई गुरुमुख सिंह ने गुरबाणी किर्तन गायन करके संगत को निहाल किया। इसके उपरांत श्री गुरु ग्रंथ साहिब के चरणों में नानक नाम चढ़दीकला, तेरे भाने सरबत का मला की अरदास की गई।

इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने बताया कि गुरु अर्जन देव सुखमनी साहिब बानी जैसी कई अन्य पुस्तकों के लेखक थे।उन्होंने स्वयं 2000 भजन लिखे और यह दुनिया के सबसे बड़े भजन संग्रहों में से एक है। उन्हें स्वर्ण मंदिर का नक्शा खुद तैयार करने के लिए भी जाना जाता है, जिसमें उन्होंने गुरुद्वारे में सभी जातियों और धर्मों की स्वीकृति को दर्शाते हुए चारों तरफ दरवाजे बनाए थे। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निर्माण के पीछे उनका ही हाथ था। उनकी मृत्यु के बाद,उनके बेटे गुरु हरगोबिंद सिंह ने सिखों के छठे गुरु के रूप में उनका स्थान लिया। 

5th Guru Arjun Dev - 2

बिल्ला ने कहा कि गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1563 में हुआ था। वे गुरु रामदास और माता बीवी भानी के पुत्र थे। उनके पिता गुरु रामदास स्वयं सिखों के चौथे गुरु थे, जबकि उनके नाना गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी का बचपन गुरु अमरदास की देखरेख में बीता था। उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी। साल 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था। दोनों का एक पुत्र हुआ, जिनका नाम हरगोविंद सिंह था, जो बाद में सिखों के छठवें गुरु बने। इस अवसर पर गुरुद्वारा कमेरी प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने स्त्री सत्संग सभा की सदस्यों को सिरोपें देकर सम्मानित किया। काफी संख्या में संगत ने गुरु चरणों में मात्या टेक कर आशीर्वाद लियाI

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