समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट : गुरुद्वारा नानक दरबार साहिब(Gurudwara Nanak Darbar Sahib) माडल टाऊन में 5वें गुरु श्री अर्जुन देव जी की मीठी याद में स्त्री सत्संग सभा(Stree Satsang Sabha) द्वारा किए जा रहे सुखमणी साहिब(Sukhmani Sahib) के पाठ 23वें दिन में प्रवेश(enters 23rd day) कर गए। प्रसाद की सेवा शादी लाल व सतीश कुमार के परिवार की तरफ से की गई।
भाई गुरमुख सिंह द्वारा गुरबाणी किर्तन करके संगत को गुरु चरणो से जोड़ा। इस अवसर पर गुरु के दास जगतार सिंह बिल्ला(Jagtar Singh Billa) ने कहा कि सिखों के 5वें गुरु थे। गुरु अर्जन देव जी शहीदों के सरताज एवं शान्तिपुंज हैं।आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, उन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। गुरुग्रन्थ साहिब में तीस रागों में गुरु की वाणी संकलित है। गणना की दृष्टि से श्री गुरुग्रंथ साहिब में सर्वाधिक वाणी पंचम गुरु की ही है। ग्रन्थ साहिब का सम्पादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से 1604 में किया।

ग्रन्थ साहिब की सम्पादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रन्थ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रन्थों में दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रन्थ साहिब में 36 महान वाणीकारों की वाणियाँ बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई। बिल्ला ने कहा कि श्रीगुरु रामदासजी ने संगत की सहमती के साथ फैसला लिया कि गुरु गद्दी भी अर्जन देव को सौंपी जाए। सितंबर 1581 को गुरु अर्जन देव को गुरु-गद्दी सौंपी गई और बाबा बूंदा की तरफ से तिलक लगवाया। इस अवसर पर काफी संख्या में संगत मौजूद रही।
