SD PG कॉलेज Panipat में परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज का शुभागमन हुआ। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों को आशीर्वचन दिए और अपने जीवन के अनुभव साझा किए। स्वामी जी महाराज वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के कोषाध्यक्ष हैं और श्री राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
स्वामी जी का स्वागत एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) के प्रधान अनूप कुमार, सचिव नरेश गोयल, चेयरमैन पवन गर्ग, प्रमोद कुमार बंसल और अन्य पदाधिकारियों द्वारा फूलों के हार पहना कर किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ‘श्री राम श्री राम’ के उद्घोष से हुई, इसके बाद दीप प्रज्वलन किया गया। स्वामी जी ने कॉलेज प्रांगण में रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया।

स्वामी जी के आशीर्वचन:
स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी ने अपने आशीर्वचन में कहा, “धर्म का मतलब है लोगों, समाज, प्रकृति और परिवार का ईश्वर से संतुलन रखना।” उन्होंने आगे कहा कि आज के मानव का धर्म पेड़ो को काटने, प्रकृति का शोषण करने और नासमझी से जीवन जीने के बजाय, वेदों द्वारा बताए गए संतुलन को समझना चाहिए। स्वामी जी ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा सिर्फ व्यवसाय पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमारे जीवन और संस्कारों से जुड़ी होनी चाहिए।

स्वामी जी की शिक्षाएं और मार्गदर्शन:
स्वामी जी ने विद्यार्थियों को जीवन में सही विचार रखने की सलाह दी और कहा, “जो व्यक्ति समय समय पर अपनी समीक्षा करता रहता है वही सफलता के कदम चूमता है।” उन्होंने यह भी बताया कि सनातन धर्म किसी एक जाती, धर्म या राष्ट्र के लिए नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए है।

स्वामी जी ने श्री राम मंदिर निर्माण पर भी अपनी बात रखी, उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें आर्थिक कठिनाईयाँ आईं, लेकिन सरकार और इंजीनियरों की मदद से यह कार्य संपन्न हुआ।

छात्रों से संवाद:
कार्यक्रम में छात्रों ने स्वामी जी से विभिन्न सवाल किए।
- निकिता का प्रश्न: “माँ-बाप बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें रखते हैं, हम इस दबाव से कैसे निपटें?”
- स्वामी जी का उत्तर: “शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि इस विषय पर अभिभावकों से संवाद करें और बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार ही प्रयास करने चाहिए।”
- महक का प्रश्न: “आप राम-मंदिर के निर्माण से जुड़े हुए हैं, उस समय आपके मन के भाव क्या थे?”
- स्वामी जी का उत्तर: “मन में आनंद और गर्व की अलौकिक सी प्रसन्नता थी।”
- साक्षी का प्रश्न: “आज का युवा विदेश भाग रहा है, आप उन्हें क्या सलाह देंगे?”
- स्वामी जी का उत्तर: “युवाओं को समझना चाहिए कि विदेश में दिखावा है, वहाँ दिन दोगुनी रात चौगुनी मेहनत करनी पड़ती है, और भारत में जो सम्मान मिलता है, वह कहीं और नहीं मिलता।”

कार्यक्रम के समापन पर डॉ. अनुपम अरोड़ा ने कहा:
“स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी का जीवन सनातन धर्म को समर्पित है। इनकी शिक्षाएं हमारे युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं, और हम चाहते हैं कि हमारी शिक्षा सनातन धर्म के मूल्यों से जुड़ी हो।”

स्वामी जी के मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।