Panipat : नगर-निगम(Municipal Corporation) की अनदेखी के कारण धड़ल्ले से अवैध निर्माण(illegal Construction) हो रहे हैं। इतना ही नहीं जिन बिल्डिंगों एवं कमर्शियल साईटों के नगर-निगम(Municipal Corporation) की ओर से नक्शें आज तक पास नहीं किए गए, उन बिल्डिंगों को भी लोगों द्वारा पूरा कर लिया गया हैं। हालांकि इसे यूं भी कहा जा सकता है कि चुनाव नजदीक होने के चलते नेताओं के दबाव के कारण भी शायद निगम अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते, इसलिए लोग धड़ल्ले से अपने काम को जारी रखते है, जैसे उन्हें किसी का डर ही नहीं हैं, या फिर दाल में कुछ और काला हैं।
बता दें कि प्रदेश के सभी नगर-निगमों, परिषदों एवं पालिकाओं में यूएलबी(ULB) की ओर से अधिक से अधिक 17 दिनों में नक्शा पास करने का प्रावधान(Provision) दिया हुआ हैं। जिसके आदेश सभी जिलों में यूएलबी की ओर से हर वर्ष दिए जाते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी जिलों में अधिकारियों द्वारा दिए गए समय के अनुसार कार्यों को नहीं किया जाता हैं। जिसके चलते लोग अपने नक्शें की फाईल को नगर-निगम में लगाकर करीब 7-8 माह तक इंतजार करते हैं और जब उस पर कोई काम नहीं होता, तो अपनी बिल्डिंग को बनाना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं इस प्रक्रिया के बारे में जो लोग पहले से जानते है, वो बिना फाईल लगाए भी अपने काम को शुरू कर देते हैं, ऐसे में जब उन्हें किसी के द्वारा टोकने का प्रयास किया जाता हैं, तो मिलीभगत का माजरा सामने कर देते हैं, ताकि सवाल करने वाले का मुंह बंद हो जाए। परंतु क्या मिलीभगत करके सरकार को हर माह लाखों का चूना नहीं लगाया जा रहा हैं, जिस पर सरकार की ओर से भी कोई सवाल नहीं उठाया जाता।

इतना ही नहीं यदि निगम के अधिकारी कहीं अवैध निर्माण को रोकने के लिए पहुंचते भी है, तो बिल्डिंग मालिक को काम बंद करने के लिए बोल दिया जाता है और एक नोटिस बिल्डिंग के बाहर चस्पा दिया जाता हैं। जिसके बाद की कहानी का तो सभी को पता हैं। चंद दिनों में नोटिस आया राम गया राम हो जाता हैं और बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाती हैं। मामले को लेकर नगर-निगम अधिकारी से फोन पर सम्पर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
आखिर समय पर क्यों नहीं काम
सरकार की ओर से सभी गलत कार्यों को रोकने के लिए सीएम विंडो एवं आरटीआई तक का सहारा लेने के लिए जनता को कहा जाता हैं, लेकिन जिन लोगों द्वारा सीएम विंडों पर शिकायत लगाई भी जाती हैं, उनकी कौन सा सुनवाई हो जाती हैं, क्योंकि कई बार शिकायतकर्ता को बिना जवाब दिए शिकायत को दबा दिया जाता हैं। सवाल ये उठता है कि जब उच्चाधिकारियों द्वारा समय पर काम करने के आदेश दिए गए है, तो जिला स्तर पर अधिकारी कोई सुनवाई क्यों नहीं कर रहे हैं।