नूंह में हुई हिंसा मामले में पानीपत के नूरवाला निवासी मृतक अभिषेक की हिंसा की शुरूआत होने से ठीक 5 मिनट पहले ही फोन पर अपने पिता से बातचीत हुई थी।
सिटी तहलका संवाददाता संदीप से वार्तालाप करते हुए परिजनों ने बताया कि इस दौरान अभिषेक ने अपने चाचा संजय से भी बातचीत की। उस समय वो मंदिर से दर्शन करने के बाद बाहर निकलकर करीब 200 मीटर की दूरी पर ही पहुंचे थे कि अचानक उपर छतों से पथराव शुरू हो गया और इतने में ही सामने से भी काफी लोग आना शुरू हो गए।
महिलाओं सहित सैंकडों लोगों को भेजा वापिस मंदिर
चाचा संजय ने बताया कि अभिषेक व उसके साथ युवाओं सहित महिलाओं की भी भीड़ थी। अभिषेक के साथ अन्य युवाओं ने महिलाओं को पीछे करते हुए वापिस मंदिर लौटने के लिए कहा और स्वयं सामने से आ रहे लोगों का सामना करने के लिए तैयार हो गए। तभी अचानक से गोलियां चलनी शुरू हो गई। अभिषेक के साथ छोटा भाई भी मौजूद था, गोलियों की आवाज से पूरा शोर गूंज उठा।
शुरूआत में पहुंची थी एक पीसीआर
तभी सामने से एक पीसीआर आई, जिसमें चार पुलिसकर्मी मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि लडोगे तो बच जाओगे, अन्यथा मारे जाओगे। इस दौरान अभिषेक व युवाओं ने लड़ते हुए काफी लोगों को बचाते हुए वापिस मंदिर भेजा।
मंदिर जाने का था एक ही रास्ता
एक चाचा संजय ने बताया कि मंदिर जाने के लिए उन लोगों के पास एक ही रास्ता था, जहां अभिषेक के साथ युवा डटकर खड़े थे, वहीं अचानक गोलियां चल जाने से एक गोली अभिषेक के पैर में लग गई, जिसके बाद भी वो लडता रहा, परंतु चल नही पा रहा था। साथ में मौजूद भाई ने गोद में उठाकर वापिस मंदिर भागने का भी प्रयास किया, परंतु गोलीबारी के चलते ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए अभिषेक ने भाई को मंदिर की ओर भेज दिया।