कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक की आज 13वीं रस्म क्रिया होगी। दोपहर 12 बजे टीडीआई स्थित उनके आवास पर शांति पाठ रखा गया है। जिसमें परिजनों के साथ-साथ रिश्तेदार, जानकार और सेना के साथी सैनिक भी शामिल रहेंगे।
मेजर आशीष 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त को सेना मेडल दिया था। मेजर आशीष की 2 साल की एक बेटी है, उनकी पत्नी ज्योति गृहिणी हैं। उनका परिवार अभी सेक्टर 7 में किराए के मकान में रहता है। मेजर का सपना था कि अपने खुद के घर में रहें, इसलिए उन्होंने टीडीआई सिटी में नया घर बनवाया था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहीद की पत्नी को योग्यता अनुसार नौकरी देने और सरकार की तरफ से 50 लाख रुपए देने की बात कही थी। इसके साथ टीडीआई में शहीद के नाम पार्क और गांव में स्वागत द्वार बनाने की घोषणा की थी।
4 महीने पहले परिवार से मिलकर गए थे मेजर आशीष
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। 4 महीने पहले 2 मई को आशीष अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। यहां वे 10 दिन रहे और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। हालांकि 2 साल पहले वह शहर में शिफ्ट हो गए थे।
3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी मेजर
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहिणी और पिता लालचंद एमएफएल से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर हैं। उनकी पोस्टिंग झांसी में है, लेकिन आजकल वह पुणे में ट्रेनिंग पर हैं।
लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, 2018 में बने मेजर
आशीष ने केंद्रीय स्कूल में पढ़ाई की। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया। जिसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया।