punjab & haryana high court

Punjab & Haryana हाईकोर्ट का अहम आदेश: एडवोकेट एक्ट के तहत नोटिस जारी करने से पहले बार काउंसिल को ‘विश्वास करने का कारण’ होना चाहिए

पंजाब हरियाणा

Punjab & Haryana हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि राज्य बार काउंसिल को एडवोकेट एक्ट के तहत वकील के खिलाफ नोटिस जारी करने से पहले यह “विश्वास करने का कारण” होना चाहिए कि संबंधित वकील पेशेवर या अन्य कदाचार का दोषी है।

Advocates Act की धारा 35 का हवाला
हाईकोर्ट ने एडवोकेट एक्ट की धारा 35 का उल्लेख करते हुए कहा कि जब राज्य बार काउंसिल को किसी वकील के खिलाफ पेशेवर कदाचार की शिकायत मिलती है, तो इसके पहले कि वह नोटिस जारी करे, उसे यह विश्वास करना आवश्यक है कि वकील ने कदाचार किया है। अगर बार काउंसिल को ऐसा विश्वास होता है, तो वह मामला निपटाने के लिए अपनी अनुशासन समिति को भेजेगी।

अनुशासन समिति की प्रक्रिया
अनुशासन समिति मामले की सुनवाई के लिए तिथि तय करेगी और संबंधित वकील तथा राज्य के महाधिवक्ता को इसकी सूचना देगी। सुनवाई के बाद, राज्य बार काउंसिल की अनुशासन समिति वकील को फटकार लगा सकती है, वकील को प्रैक्टिस से निलंबित कर सकती है या उसका नाम राज्य अधिवक्ता सूची से हटा सकती है।

हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने एक मामले में अनुशासन समिति द्वारा जारी नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें एक वकील को पेशेवर कदाचार के आरोप में पेश होने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि नोटिस जारी करने से पहले “विश्वास करने का कारण” होना चाहिए कि वकील ने कदाचार किया है।

इस फैसले ने राज्य बार काउंसिल के नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित किया और वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से पहले उचित आधार की आवश्यकता को स्पष्ट किया।

Read More News…..