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हरियाणा MBBS परीक्षा घोटाले में सामने आया राजस्थान का कनेक्शन, जयपुर की फर्म जांच के घेरे में

हरियाणा

➤हरियाणा के MBBS परीक्षा घोटाले में जयपुर स्थित एक प्राइवेट फर्म का नाम सामने आया, जो रिकॉर्ड बदलने में संलिप्त बताई जा रही है।

➤एक छात्रा ने पूछताछ में स्वीकारा कि उसने फर्म के अधिकारी की मदद से परिणामों में हेरफेर कर छात्रों को पास करवाया और पैसे लिए।

➤अब तक 10 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं; फर्म के अधिकारी की मृत्यु के बाद जांच फर्म के अन्य कर्मचारियों की भूमिका की ओर बढ़ रही है।

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हरियाणा में MBBS परीक्षा में हुए बड़े घोटाले की परतें अब एक-एक कर खुलने लगी हैं। पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक (UHSR) से जुड़े इस मामले में अब राजस्थान कनेक्शन सामने आया है। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस घोटाले में जयपुर स्थित एक निजी फर्म की अहम भूमिका रही है, जो शैक्षणिक कार्यों और रिकॉर्ड प्रबंधन में विशेषज्ञ मानी जाती है।

सबसे अहम जानकारी यह मिली है कि फिजियोथेरेपी कोर्स की एक छात्रा, जो कि इस घोटाले में पहले ही गिरफ्तार हो चुकी है, का संपर्क जयपुर की इस फर्म के एक अधिकारी से था। पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि इस अधिकारी की मदद से परीक्षा परिणामों में छेड़छाड़ करवाई गई। यह काम घोषणा से पहले पुरस्कार सूची (merit list) में बदलाव के जरिए किया गया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार छात्रा ने न केवल इस घोटाले में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि छात्रों से पैसे लेकर उसका हिस्सा भी फर्म के अधिकारी को दिया। अब तक इस मामले में 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें UHSR के 7 कर्मचारी, एक पूर्व रेजिडेंट डॉक्टर, एक फिजियोथेरेपी छात्रा, और एक अन्य युवक शामिल हैं। सभी फिलहाल रोहतक जिला जेल में बंद हैं।

हालांकि इस जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब जयपुर में दबिश देने गई पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि फर्म का संदिग्ध अधिकारी हाल ही में मृत हो चुका है। इसके चलते पुलिस खाली हाथ लौट आई। अब जांच अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या फर्म के अन्य अधिकारी भी इस गड़बड़ी में शामिल थे।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह घोटाला दो तरीकों से अंजाम दिया गया — डायरेक्ट और इनडायरेक्ट। डायरेक्ट में आंसर शीट्स को परीक्षा के बाद निकाल कर दोबारा लिखा जाता था, जबकि इनडायरेक्ट तरीके में रिजल्ट से पहले मार्कशीट और मेरिट लिस्ट से छेड़छाड़ कर अंक बढ़ाए जाते थे। दोनों ही तरीकों से छात्रों से मोटी रकम वसूली जाती थी, जिससे छात्रों को पास करवाया जा सके।

UHSR प्रशासन ने घोटाले में शामिल कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। बलराम नामक एक कर्मचारी के निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जबकि सीधे तौर पर संलिप्त पाए गए कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।

गौरतलब है कि इस परीक्षा घोटाले के सिलसिले में फरवरी 2025 में 41 लोगों पर केस दर्ज किया गया था, जिनमें 24 MBBS छात्र और 17 विश्वविद्यालय कर्मचारी शामिल हैं। यह घोटाला शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है और अब जांच एजेंसियों का फोकस राजस्थान कनेक्शन पर टिक गया है।