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Rewari में 25 साल बाद 2 दोस्तों को गोली मारकर 40 हजार लूटने का आरोपी काबू, एक की हो चुकी मौत

रेवाड़ी

Rewari की क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी(CIA-1) की टीम ने 25 साल बाद एक हत्यारे को गिरफ्तार(arrest) किया है। आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक कंपनी में काम करने वाले दो दोस्तों को गोली मारकर(shooting and killing) उनसे 40 हजार रुपए लूट(looting 40 thousand) लिए थे। घटना में एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस वारदात के बाद से ही आरोपी फरार था।

मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम विनोद सागर उर्फ डॉक्टर है। वह उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हर्ष विहार का रहने वाला है। इस शातिर बदमाश को वर्ष 2000 में ही रेवाड़ी कोर्ट ने उद्घोषित अपराधी (PO) घोषित कर दिया था। हालांकि, रेवाड़ी पुलिस ने वारदात में शामिल विनोद सागर के दो अन्य साथियों को वारदात के कुछ समय बाद ही गिरफ्तार कर लिया था।

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3 नवंबर 1999 को रेवाड़ी के गांव गुर्जर घटाल के पास एक गाड़ी में आए तीन बदमाशों ने राजस्थान के भिवाड़ी की कंपनी में काम करने वाले दो कर्मचारी अनिल नैय्यर और सतीश जोशी को गोली मार दी थी। उन्होंने उनसे 40 हजार रुपए भी लूट लिए थे। इस घटना में सतीश जोशी की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ थाना धारूहेड़ा में लूट, हत्या और आर्म्स एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की थी।

दो आरोपी पहले हो चुके गिरफ्तार

वारदात के कुछ समय बाद ही पुलिस ने दो आरोपी नरेंद्र और सतीश को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन इस वारदात में शामिल तीसरा आरोपी विनोद सागर उर्फ डॉक्टर फरार चल रहा था। कोर्ट ने वर्ष 2000 में उसे उद्घोषित अपराधी(PO) घोषित किया था। पिछले 25 सालों से रेवाड़ी पुलिस की अलग-अलग टीमें विनोद सागर को ढूंढने में लगी हुई थीं, लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया।

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पुलिस की कार्यवाही

अब सीआईए-1 की टीम ने विनोद सागर को गिरफ्तार कर लिया है। उसे बुधवार को कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। पुलिस की इस सफलता से पुराने मामले की सुलझने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। रेवाड़ी पुलिस ने इस मामले में पिछले 25 सालों में कई प्रयास किए। पुलिस की अलग-अलग टीमें लगातार विनोद सागर की तलाश में जुटी रही। पुलिस ने कई संभावित ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन हर बार विनोद सागर पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा।

पुलिस की चुनौतियां

इस मामले में पुलिस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 25 सालों तक फरार आरोपी को ढूंढना आसान नहीं था। आरोपी ने कई बार अपनी पहचान बदलने की कोशिश की और पुलिस से बचने के लिए कई राज्यों में घूमता रहा। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया और आखिरकार उसे पकड़ने में सफलता हासिल की।

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