प्रदेश में चोरी की वारदात आए दिन बढ़ती जा रही है। चोरों के हौसलें इस कदर बुलंद नजर आ रहे है कि पहले केवल एक ही जगह पर चोरी की वारदात घटित होती थी, परंतु अब चार-चार जगहों पर एक साथ वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। हालांकि हर जिले में पुलिस की गश्त पर डयूटी लगाई हुई है और डायल 112 को भी तैनात किया गया है, लेकिन उसके बावजूद भी घटनाएं घटने का नाम नहीं ले रही है। जिला रेवाड़ी के 2 गांवों में एक ही रात में चोर 4 ईको कार से साइलेंसर चोरी कर ले गए, चोरी हुए साइलेंसर की कीमत लाखों रुपए में है। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच करते हुए मामला दर्ज कर लिया है, फिल्हाल चोरों का कोई सुराग हाथ नहीं लग पाया है।
ग्रामीणों में सूचना फैलने पर अन्य गाड़ियों की भी मिली जानकारी
गांव रोहड़ाई पुलिस को दी शिकायत में दिनेश ने बताया कि उसने अपनी ईको कार ली हुई है और रात के समय उसकी कार घर के बाहर खड़ी थी। अगले दिन जब सुबह उठा तो कार का साइलेंसर गायब मिला। जैसे ही इसकी सूचना गांव के अन्य ग्रामीणों तक पहुंची तो पता चला कि चोर गांव के ही बुधराम के घर के बाहर खड़ी उसकी ईको कार व हरिजन चौपाल के पास खड़ी चरणजीत की ईको कार के भी साइलेंसर चोरी कर ले गए। एक साथ 3 गाड़ियों के साइलेंसर चोरी होने की घटना के बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची रोहड़ाई थाना पुलिस ने जांच के बाद चोरी का केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
घर के बाहर की कुंडी लगाकर चुराया साइलेंसर
रोहड़ाई थाना क्षेत्र के ही गांव खेड़ा आलमपुर में भी चोर रितेश के घर के बाहर खड़ी उसकी ईको कार का साइलेंसर चोरी कर ले गए। रितेश सुबह जब उठा तो घर के बाहर से कुंडी लगी मिली। किसी तरह उसने रास्ते से गुजर रहे व्यक्ति की मदद से कुंडी खुलवाई और गाड़ी स्ट्रार्ट की तो साइलेंसर ही गायब मिला। उसने रोहड़ाई थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने रितेश की शिकायत पर चोरी का केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। गांव रोहड़ाई में दिनेश सिंह की इसी कार से साइलेंसर चोरी हुआ।
करीब 85 हजार मानी जा रही प्रति साइलेंसर की कीमत
बता दें कि ईको के साइलेंसर की कीमत करीब 85 हजार रुपए की मानी जा रही है। साइलेंसर में कैटेलिटिक कन्वर्टर मौजूद होता है और कैटेलिटिक कन्वर्टर, प्लेटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स से बनता है। प्लेटिनम, पैलेडियम और रोडियम को संयुक्त तौर पर प्लेटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स यानी पीजीएम कहते हैं। इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा होती है। ईको के साइलेंसर से निकलने वाली इन धातुओं की डस्ट को हैवी इंडस्ट्री में बेचा जाता है, जहां प्रति 10 ग्राम डस्ट 3 से 6 हजार रुपए तक मिलते हैं।

