Haryana में भाजपा-जननायक जनता पार्टी (BJP-JJP) सरकार के खिलाफ किसानों की आवाज उठने के बाद कुछ किसान संगठनों के बीच में विवाद(Dispute) हो रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पूर्व जिलाध्यक्ष रणधीर काला कुंडू ने एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि जिन किसान संगठनों ने सरकार के साथ सहयोग किया, वे विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विरोध करना उचित नहीं है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने विवाद को व्यक्तिगत स्तर पर भी देखा और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना निर्णय होता है। वहीं महिला जिलाध्यक्ष गीता अहलावत ने उत्तर देते हुए कहा कि उन्हें इस विवाद से कोई उत्तेजना नहीं, वे भाजपा और जेजेपी(BJP-JJP) के प्रति किसी भी हमदर्दी का प्रमाण नहीं देते हैं। इसकी बजाय विरोध की राह चुनी जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान सभा के महासचिव सुमित दलाल ने इस बहस को नकारा और कहा कि इस बात का कोई महत्व नहीं है कि भाजपा के उम्मीदवार गांवों में कैसे जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की नीतियों के खिलाफ विरोध किया जाएगा। उन्होंने इसे गलत बताया और कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा विरोध जारी रखेगा।
मांगों को लेकर कड़ाई से उभरे
इस बीच हरियाणा के भाजपा और जेजेपी सरकार के खिलाफ किसानों की आवाज बढ़ती जा रही है। किसानों ने सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन आयोजित किया है और इसमें वे अपनी मांगों को लेकर कड़ाई से उभरे हैं। किसानों के बीच संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका है और इस तरह की बहसें उनकी एकता को कमजोर कर सकती हैं। सरकार के प्रति विरोध और मुद्दों के लिए आवाज उठाने का हक हर किसान को है, लेकिन विवादित मुद्दों पर सहमति के माध्यम से संगठन की शक्ति को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।