Rohtak शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही का मामला सामने आया है। सोनीपत निवासी मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि एक्सीडेंट में घायल युवक की सीने में चोट थी, लेकिन डॉक्टरों ने गलती से पेट का ऑपरेशन कर दिया। बाद में मरीज की हालत बिगड़ी तो उसे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को छोड़ने से पहले अतिरिक्त पैसों की मांग की, जिससे मरीज की हालत और बिगड़ गई।
क्या है पूरा मामला?
मंडोरी गांव निवासी नवीन ने बताया कि उसके भाई संदीप का दो दिन पहले जसिया के पास सड़क हादसा हो गया था। किसी राहगीर ने उसे पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया और उन्हें सूचित किया।
डॉक्टरों ने बताया कि मरीज के पेट की आंत में दिक्कत है, इसलिए ऑपरेशन जरूरी है। ऑपरेशन के बाद स्थिति बिगड़ गई और मरीज को दोबारा ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। फिर कहा गया कि अब सब ठीक है।
“गलती से पेट का ऑपरेशन कर दिया” – परिजनों का आरोप
नवीन का दावा है कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने खुद बताया कि मरीज को छाती में चोट लगी थी, लेकिन गलती से पेट का ऑपरेशन कर दिया गया। फिर मरीज को मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन पहले इलाज का ₹1.97 लाख का बिल थमा दिया गया।
और पैसे मांगे, फिर रोकी गई एंबुलेंस
परिजनों का कहना है कि बिल चुकाने के बाद जब मरीज को लेकर निकलने लगे, तो अस्पताल प्रबंधन ने ₹60,000 और मांगे। पैसे देने तक मरीज को एंबुलेंस में बैठाने से मना कर दिया गया। मरीज को करीब 20-25 मिनट तक स्ट्रेचर पर ही रखा गया, जिससे उसकी हालत और नाजुक हो गई।
पुलिस को बुलाना पड़ा, अस्पताल पर ‘झूठी शिकायत’ का आरोप
मामले ने तूल पकड़ा तो नवीन ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को बुलाया। पुलिस पहुंचने के बाद ही मरीज को एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया। नवीन का आरोप है कि अस्पताल ने पुलिस को झूठी मारपीट की शिकायत देकर गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए, जिससे सच्चाई सामने आ सके।
पुलिस जांच में जुटी
अर्बन एस्टेट थाने के जांच अधिकारी वीरेंद्र ने बताया कि अस्पताल से डायल 112 पर कॉल आई थी। मौके पर पहुंची पुलिस को दोनों पक्षों की ओर से शिकायतें प्राप्त हुई हैं। मामले की जांच जारी है, और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।