भिवानी में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत्त ग्रामीण डाक कर्मचारियों ने आखिरकार संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है तथा ऑल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक संघ के बैनर तले मंगलवार से राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसी कड़ी में स्थानीय घंटाघर स्थित डाक विभाग कार्यालय के समक्ष ऑल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बलजीत कुंगडिया के नेतृत्व में ग्रामीण डाक कर्मचारियों ने धरना दिया तथा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
वही दूसरी और ग्रामीण डाक कर्मियों की हड़ताल से ग्रामीण क्षेत्र की डाक व्यवस्थाए भी प्रभावित रही। गांवों में डाक वितरण और डाक बुकिंग, मनीआर्डर वितरण और बुकिंग, डाकघर बचत सेवाए, डाकघर जमा और निकासी सेवाए हड़ताल की वजह से बंद रही, जिससे ग्रामीणों को खासी परेशानियां उठानी पड़ी।

ये है कर्मचारियों की मांग
धरनारत्त कर्मचारियों को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बलजीत कुंगडिय़ा ने कहा कि वे ग्रामीण डाक सेवकों को 8 घंटे काम और पेंशन सहित सभी लाभ प्रदान करने, 12, 24 व 36 वर्ष की सेवा पूरी करने पर तीन समयबद्ध वित्तीय उननयन देने की मांग कर रहे है। साथ ही ग्रेच्यूटी पर अधिकत्तम राशि डेढ़ लाख की सीमा को हटाकर अधिकत्तम राशि 5 लाख बहाल करने, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने, अप्रयुक्त छुट्टियों को 180 दिनों तक आगे बढ़ाने की सुविधा के साथ प्रति वर्ष 30 दिनों की छुट्टी मंजूर करने, समूह बीमा को 5 लाख रूपये तक बढ़ाने की मांग उठा रहे है। लेकिन सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। इसी के विरोध में मंगलवार से उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है।

8 घंटे का काम लेकर 4 घंटे के दिए जा रहे पैसे
प्रदेश अध्यक्ष बलजीत कुंगडिया ने कहा कि अधिकतर ग्रामीण डाक सेवक 5 से 9 घंटे अधिक काम करते हैं। वे बिना किसी भेदभाव के विभागीय कर्मचारियों द्वारा प्राप्त सभी लाभों जैसे अवकाश, एचआरए, टीए, डीए, पैंशन, चिकित्सा व शिक्षा आदि सुविधाओं के लिए पात्र हैं। वर्तमान समय में ग्रामीण डाक सेवकों से 8 घंटे काम लेकर 4 घंटे के पैसे दिए जा रहे है, जबकि उन्हें साल भर में दी जाने वाली 20 छुट्टियां भी काम में लगवाई जा रही है। उसके बदले उन्हें एक रुपया तक नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा दिया जा रहा वेतन भी नाम मात्र है जिसके चलते ग्रामीण डाक सेवकों को परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द नहीं चेती तथा उनकी मांगें नहीं मानी तो वे अपने संघर्ष को उग्र रूप देने पर मजबूर होंगे।

