हरियाणा के सहकारिता विभाग में 185 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। घोटाले के मास्टरमाइंड अनु कौशिश और स्टालिन जीत सिंह को शामिल माना जा रहा है। जिन्होंने सरकारी पैसे को कनाडा और दुबई में हवाला दिया है।
बता दें कि विभाग में 2005 के बाद 255 करोड़ रुपए की ग्रांट की गई थी, जिसमें से 185 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया गया, लेकिन इसका कोई सही लेन-देन रिपोर्ट नहीं है। सहकारिता विभाग में कई स्कीमें 1992 से चल रही हैं, लेकिन 2005 के बाद हो रही गतिविधियों पर अब गहराई से जांच होगी। घोटाले के मास्टरमाइंड अनु कौशिश को जेल में भेजा गया है। इस घोटाले के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी धोखाधड़ी का मामला उठाया गया है, जिसमें सहकारी समितियों के 40 प्रतिशत रिकॉर्ड गायब पाए गए हैं। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार ने मामले में कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है। बैंकों से भी रिकॉर्ड पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। संजय, रोहित गुप्ता और बलविंद्र को सस्पेंड किया गया है। एसीबी ने नरेश गोयल को भी केस में शामिल करने के लिए मंजूरी मांगी है। सहकारिता मंत्री के साथ भी अनु कौशिश के घोटाले के आरोप हैं।

ऑपरेशन रिपोर्ट में हुआ खुलासा
घोटाले में जुड़े लोगों के खिलाफ एसीबी और सहकारिता विभाग ने कड़ी कार्रवाई का फैसला किया है। राजेश जोगपाल ने आपरेशन का नेतृत्व किया है और डाक्यूमेंट्स की गायबी का खुलासा किया है। घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ एसीबी कड़ी कार्रवाई कर रहा है। आपरेशन की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सहकारी समितियों के रिकॉर्डों में गायबी हो रही है। सहकारिता विभाग के नोडल अधिकारी के तौर पर योगेश शर्मा का चयन किया गया है, उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। घोटाले के खिलाफ जांच के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें गायब रिकॉर्डों की खोज शामिल है।

कई अधिकारी किए जा चुके सस्पेंड
घोटाले में सरकारी पैसों का लेन-देन बैंकों के माध्यम से हुआ है, और इसे बचाने के लिए सहकारिता विभाग ने कई कदम उठाए हैं। लेकिन रिकॉर्ड में 40 प्रतिशत की कमी आने से जांच में कठिनाई हो रही है। यह घोटाला हरियाणा में सहकारिता विभाग में हुआ है, जिसमें सरकारी पैसों का अनुचित इस्तेमाल किया गया है। इसे उजागर किया गया है और कई अधिकारी सस्पेंड किए गए हैं। अब जांच जारी है और दोषियों को सख्त कार्रवाई की जा रही है।
