हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पानीपत के मेजर आशीष धौंचक (36) के टीडीआई सिटी स्थित घर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने दुख की घड़ी में शहीद आशीष के परिजनों को सांत्वना देते हुए ढांढस बढ़ाया। इससे पहले मुख्यमंत्री पलवल से बाय एयर पानीपत सेक्टर 13-17 स्थित हैलीपेड पर पहुंचे। इसके बाद मुख्यमंत्री गाड़ी से टीडीआई सिटी स्थित शहीद मेजर आशीष के नवनिर्मित घर पहुंचे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहीद आशीष के परिजनों से ढांढस बंधाने के साथ उनकी बेटी वामिनी को आर्शीवाद दिया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने टीडीआई सिटी में शहीद मेजर आशीष के परिजनों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत की। मनोहर लाल ने आश्वासन दिया कि सरकार की नीति के तहत शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये और उनकी पत्नी को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाएगी। साथ ही गांव में प्रतिमा लगवाने, द्वार बनवाने या किसी संस्थान का नाम शहीद मेजर के नाम पर रखने का भी सरकार प्रयास करेगी। अभी फिलहाल कोई वादा नहीं किया जा सकता है। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहीद मेजर आशीष की माता और उनकी पत्नी ज्योति से भी मुलाकात कर ढांढस बंधाया। साथ ही शहीद मेजर की बेटी वामिनी को आर्शीवाद दिया।
शहीद मेजर आशीष 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में थे तैनात
बता दें कि शहीद मेजर आशीष 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से 15 अगस्त को सेना मेडल दिया था। वह चार माह बाद जल्द ही परिजनों से मिलने और नवर्निमित घर का मुहूर्त करने के लिए घर पहुंचने वाले थे। शहीद मेजर आशीष का परिवार फिलहाल सेक्टर-7 स्थित किराए में मकान में रह रहा है। मेजर आशीष का सपना था कि वह अपने खुद के घर में रहें और इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने टीडीआई सिटी में अपना नया सपनों का घर बनाया था। उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी ज्योति, दो साल की बेटी वामिनी के अलावा मेजर आशीष तीन बहनों के एकलौते भाई थे।
जागरण का आयोजन कर गृह प्रवेश करने का लिया था परिवार ने निर्णय
शहीद मेजर आशीष का सपना था कि वह अपने खुद के घर में रहें। इसके लिए उन्होंने टीडीआई सिटी में अपना नया घर बनवाया था। फिलहाल आशीष के पिता लालचंद एलएफएल से सेवानिवृत्ति के बाद सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं। अक्तूबर माह में मेजर के जन्मदिन पर जागरण का आयोजन कर परिवार ने गृह प्रवेश का निर्णय लिया था, लेकिन किसी को नहीं पता था कि उसके पार्थिव शरीर को नवर्निमित घर में लाया जाएगा।
क्या पता था 4 महीने बाद पार्थिव शरीर लौटेगा
शहीद मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद निवासी ज्योति से हुई थी। अब उनकी दो साल की बेटी भी है। 4 महीने पहले 2 मई 2023 को अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। 10 दिन की छुट्टियां बिताने के बाद वह वापस अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। इसके बाद परिवार गांव से शहर में किराये के मकान में रहने आ गया था। शहीद आशीष तीन बहनों अंजू, सुमन और ममता के इकलौते भाई थे। तीनों बहनें शादीशुदा हैं। मां कमला, पत्नी ज्योति गृहिणी और पिता लालचंद एनएफएल से सेवानिवृत्त हैं।
लेफ्टिनेंट भर्ती होने के बाद प्रमोट होकर बनें मेजर
शहीद मेजर आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की थी। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया। जिसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। जिसका एक वर्ष पूरा हो चुका था। वह 25 वर्ष की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए थे। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया।