किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब दो सांसदों को आपसी धक्का-मुक्की में हल्की चोट लग गई तो केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री अस्पताल में उनसे मिलने पहुंचे, लेकिन 26 दिन से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य किसानों की बात सुनने के लिए सरकार के पास समय नहीं है।
खनौरी बॉर्डर पर आज 26वें दिन किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी रहा। डॉक्टरों ने बताया कि डल्लेवाल शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो चुके हैं, जिसके कारण वह स्टेज पर नहीं आ रहे हैं। वहीं, किसान नेताओं ने संसद में हुई धक्का-मुक्की पर भी सरकार को घेरा, और सवाल उठाया कि यदि सांसदों के लिए सरकार तत्काल कदम उठाती है, तो किसानों के लिए क्यों नहीं?
किसान नेताओं का केंद्र सरकार पर हमला
किसान नेताओं ने यह सवाल उठाया कि क्या हमारे देश में किसानों की जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है? उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील है, और पूरा देश देख रहा है कि सरकार की प्राथमिकताएं कहीं और हैं।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि खनौरी किसान मोर्चे के चारों ओर सड़कें बंद की जा रही हैं और सिक्योरिटी फोर्सेज की संख्या बढ़ाई जा रही है। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर पुलिस की हिंसक कार्रवाई में किसी किसान का खून बहा, तो उसकी जिम्मेदारी सीधे पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और संवैधानिक संस्थाओं की होगी।
किसान नेता: “गुरुओं के रास्ते पर चल रहे हैं किसान”
किसान नेताओं ने शहीदी सप्ताह के मौके पर कहा कि किसान इंसानियत के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले गुरुओं के दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरुओं के मार्ग पर चलकर ही किसान अपने अधिकारों की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं।
किसान नेताओं ने सभी से अपील की कि जिस तरह किसानों के मोर्चे और जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत के लिए धार्मिक स्थलों पर अरदास की गई थी, उसी तरह शहीदी सप्ताह के दौरान अब सभी बड़े मंचों से किसानों की मांगों पर लोगों को जागरूक किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है जब समाज के हर वर्ग को किसानों के संघर्ष को समझने और उनका समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए।