झज्जर जिलें में विभिन्न सरकारी बीज व खाद केंद्रों पर डीएपी खाद और गेहूं का बीज नहीं पहुंचा है। खाद, बीज केंद्रों पर किसान बीज व डीएपी खाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन संचालक किसानों को दो या तीन दिन में आने की कहकर अपना पीछा छुड़ा रहे हैं। किसानों की ओर से गेहूं के 1124, 3086 व 303 किस्म की सबसे ज्यादा मांग की जा रही है।
सितंबर व अक्तूबर में करीब 6966 एमटी डीएपी जिले के केंद्रों पर पहुंच चुका हैं। जिले के किसानों के लिए करीब 37 हजार डीएपी पहुंचने की संभावना है। केंद्र संचालकों ने बताया कि गेहूं की 1105, 187, 222 के अलावा कई अन्य किस्में वह बेच चुके हैं। उन्होंने बताया कि करीब आठ हजार क्विंटल से ज्यादा गेहूं का बीज किसानों को दिया जा चुका है, लेकिन अब सोमवार तक बीज की गाड़ी आने की संभावना जताई जा रही हैं।
सरकारी बीज केंद्रों से ही गेहूं खरीदने की अपील
हरियाणा बीज निगम, हरियाणा भूमि सुधार विकास निगम व इफको केंद्रों पर गेहूं के बीज आने की संभावना बनी हुई हैं। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि सरकारी बीज केंद्रों से ही गेहूं का प्रमाणित बीज खरीदे और साथ-साथ रसीद भी प्राप्त करें। गेहूं की बिजाई के लिए डीएपी खाद की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन डीएपी खाद की किल्लत से जिले के किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं, लेकिन डीएपी खाद सरकारी पर निजी केंद्रों पर नहीं मिल रहा हैं।
किसान महेंद्र सिंह, निशान सिंह, श्रीभगवान, रामोतार, राजेश गुलिया, सोमबीर ने बताया कि डीएपी खाद लेने के लिए जाते हैं तो केंद्र संचालकों को तरल नैनो यूरिया व एनपीके खाद को लेने की पेशकश कर रहे हैं। इफको के सहायक प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया कि किसानों को नैनो यूरिया व एनपीके खाद को ले लेना चाहिए, इसका परिणाम बहुत बढि़या आता हैं।
डीएपी की किल्लत से जुझ रहे किसान
जिले भर के लिए 225 एमटी डीएपी खाद रेवाड़ी के खोरी में लगे रैक से झज्जर को मिला है। वहीं एनएफएल का 650 एमटी खाद भी पहुंचा है। अब तक करीब दो हजार एमटी डीएपी खाद पहुंचा हैं। कृषि विभाग की ओर से डीएपी का खाद की डिमांड मुख्यालय को 18 हजार एमटी की भेजी जा चुकी है। वहीं 40 हजार एमटी यूरिया की डिमांड मुख्यालय को भेजी गई है, लेकिन डीएपी खाद की बात करे तो हर वर्ष डीएपी खाद को लेकर मारामारी का माहौल बना रहता है। फिलहाल भी किसान डीएपी की किल्लत से जूझ रहें हैं।
गेहूं व डीएपी खाद की किल्लत किसानों को नहीं होने दी जाएगी। किसान संयम से काम लें। बीज व खाद आवश्यकतानुसार केंद्रों पर मिल रहा है। किसानों के लिए डीएपी खाद की किल्लत नहीं रहने दी जाएगी। जिले के किसानों को जरूरत अनुसार डीएपी खाद मिलती रहेगी। नैनो यूरिया की बोतल जबरदस्ती नहीं दी जा रही है।