Sonipat में नगर निगम मेयर उपचुनाव के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी कमल दीवान ने 1.15 करोड़ रुपये का नामांकन भरा, जो हरियाणा का अब तक का सबसे महंगा नामांकन माना जा रहा है। इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान करीब ढाई घंटे की देरी आई, क्योंकि कमल दीवान के प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर विवाद था। नामांकन के दौरान कमल दीवान ने नगर निगम को कोर्ट में ले जाने की धमकी दी और भाजपा पर जमकर हमला बोला।
नामांकन प्रक्रिया में हुई देरी
सोनीपत में कमल दीवान ने कई घंटों के बाद अपना नामांकन दाखिल किया, क्योंकि नगर निगम से जुड़ी “नो ड्यूज” की प्रक्रिया में करीब ढाई घंटे का वक्त लगा। दीवान के प्रॉपर्टी टैक्स का मामला कोर्ट में पेंडिंग था और कोर्ट द्वारा जारी स्टे के बावजूद निगम के अधिकारियों ने यह ड्यूज नहीं स्वीकार किए, जिसके कारण नामांकन में देरी हुई।
कमल दीवान का बगावती बयान
कांग्रेस के उम्मीदवार कमल दीवान ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर परेशान किया गया और उनके नामांकन में देरी की गई। उन्होंने कहा, “भा.ज.पा. को हार की बौखलाहट नजर आ रही है, लेकिन मैं चुनाव लड़कर निगम को सुधारने का प्रयास करूंगा।”
सांसद सतपाल ब्रह्मचारी का बयान
नामांकन के बाद सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने भाजपा पर आरोप लगाए कि उन्होंने जानबूझकर नामांकन प्रक्रिया में देरी की। उन्होंने कहा, “भा.ज.पा. के पास कोई ठोस योजना नहीं है और वे हर संभव तरीके से कांग्रेस को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।”
प्रॉपर्टी टैक्स का मामला
कमल दीवान के फॉर्म हाउस पर करीब 1.15 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया था, जो 2015-16 से लेकर अब तक का ब्याज समेत जुड़ा हुआ था। नामांकन के दौरान कमल दीवान ने इस बकाया टैक्स को आरटीजीएस के माध्यम से जमा कर दिया। वहीं, 4777 रुपये का वाटर टैक्स भी क्लियर किया गया।
पूर्व विधायक सुरेंद्र पंवार और अन्य कांग्रेस नेताओं का आरोप
पूर्व विधायक सुरेंद्र पंवार और अन्य कांग्रेस नेताओं ने नगर निगम अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और जानबूझकर नामांकन प्रक्रिया में देरी की कोशिश कर रहे हैं।
निगम के अधिकारियों की चेतावनी
जोनल टैक्स ऑफिसर राजेंद्र चुघ ने बताया कि सोनीपत नगर निगम पर कुल 100 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है। उन्होंने यह भी बताया कि नामांकन के बाद इस बकाए में 7.5 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है।
नियमों के तहत नामांकन प्रक्रिया
निगम के अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी प्रत्याशी को नामांकन दाखिल करने से पहले अपनी सभी देनदारियों को साफ करना होता है, और बिना एनओसी के नामांकन स्वीकार नहीं किया जा सकता है।