Sonipat में फसल अवशेष आगजनी के मामलों में नियंत्रण लगाने को लेकर मुख्यालय से सभी जिला उपायुक्त और कृषि अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। फसल अवशेष में आग न लगे और आग के मामले जीरो करने को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर नजर आ रहा है। बता दें कि खरीफ सीजन में आगजनी की सैटेलाइट से 78 घटनाएं सामने आई थी। जहां किसानों पर 47500 का जुर्माना भी लगाया गया था और पांच किसानों क़े खिलाफ FIR भी दर्ज हुई ।
दरअसल, सोनीपत में क़ृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अक्तूबर-नवम्बर माह में फसल अवशेष जलने की घटनाओं को पूरी तरह से रोक लगाने के लक्ष्य को लेकर कृषि विभाग ने अगस्त माह में ही कमर कस ली है। जिसके अंतर्गत ग्राम स्तर पर कृषि विभाग ने कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी है। साथ ही सभी सरपंचों को लेटर जारी करके गांव में किसी भी प्रकार के फसल अवशेषों में आगजनी की घटना न होने देने का आह्वान भी किया जाएगा।
किसानों को जागरुक करने की तौयारी शुरु
जानकारी के अनुसार बता दें कि खरीफ सीजन में सोनीपत जिले में किसानों ने लगभग 90 हजार हैक्टेयर भूमि में धान की रोपाई व बिजाई की है। फिलहाल धान की फसल प्राथमिक चरण में है, लेकिन अक्तूबर व नवम्बर माह में धान के कटाई प्रक्रिया के बाद फसल अवशेष को जलाने के प्रति किसानों को जागरूक करने की कवायद कृषि विभाग ने अभी से शुरू कर दी है, ताकि बेहतर ढंग से लोगों को जागरूक किया जाए और फसल अवशेष की घटनाओं को पूरी तरह से रोका जा सके।
ग्राम स्तर पर जागरूकता कैंप लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा एक तरफ जहां विभागीय कर्मचारियों की ड्यूटी तय कर दी है, तो वहीं दूसरी तरफ गांवों के सरकारी स्कूलों व निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के साथ-साथ कालेजों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को भी फसल अवशेषों में आगजनी की वजह से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया जाएगा। ताकि विद्यार्थी घर जाकर परिजनों को फसलों के अवशेषों में आगजनी की घटना न करने के लिए प्रेरित कर सके।
कोई भी गांव रेड जोन में नहीं
बताया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष तौर पर पोस्टर और बैनर भी लगाए जाएंगे। इनमें से अधिकतर घटनाएं गोहाना उपमंडल और यमुना नदी के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों से सामने आई थी। ऐसे में कृषि विभाग ने इस बार यमुना नदी के साथ लगते गांव व गोहाना उपमंडल के लिए विशेष रणनीति तैयार की है। जिसके अंतर्गत उक्त क्षेत्रों में अतिरिक्त कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
इसके अतिरिक्त सबसे अधिक जागरूकता कैंप उक्त क्षेत्रों में ही आयोजित किए जाएंगे। हालांकि राहत की बात यह है कि सोनीपत जिले में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कोई भी गांव अब रेड जोन में शामिल नही है।