लिपिक वर्ग ने सिर पर सरकारी विभागों के वर्कलोड के उठाए टोकरें

सोनीपत

सोनीपत के मिनी सचिवालय पर लिपिक वर्ग लगातार प्रोटेस्ट कर रहा है और वही सोनीपत के पुलिस लाइन के सामने लिपिकों ने सिर पर कम्प्यूटर- कीबोर्ड, फ़ाइल और सरकार द्वारा चलाए जाने वाले विभिन्न 400 ऑनलाइन पोर्टल के वर्कलोड को लेकर सिर पर टोकरी रखकर प्रदर्शन किया है।

तीन अलग-अलग विभाग के लिपिकों ने सिर पर टोकरी उठाकर अनोखे ढंग से प्रोटेस्ट किया है और मांग की है कि सरकार उन्हें 19900 से बढ़ाकर 35400 वेतन करें। जिसको लेकर जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि जब तक मांग नहीं मानी जाएगी तब तक आंदोलन यूं ही जारी रहेगा।

जानकारी के मुताबिक 5 जुलाई से लिपिक अनिश्चित काल के धरने पर मिनी सचिवालय के सामने बैठे हुए हैं और प्रदेश की सरकार द्वारा लिपिक वर्ग के साथ कई दौर की बातचीत भी की गई है और सरकार द्वारा 21700 का ऑफर भी दिया गया, लेकिन लिपिक वर्ग 35400 वेतनमान को लेकर अड़े हुए हैं, लेकिन सरकार ने पूरी तरह से मांग को नकारते हुए कहा है कि नो वर्क नो वेतन लागू कर दिया गया है।

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सरकार एजुकेशन को लेकर कर रही बात

वही महिला लिपिक सतीश कुमारी ने कहा कि सरकार द्वारा 400 प्लस पोर्टल उनके सिर पर बोझ के रूप में रखे हुए हैं और सारे पोर्टल का कार्य लिपिक करते हैं। वही लिपिक वर्ग का कहना है कि एक तरफ जहां सरकार एजुकेशन को लेकर बात कर रही है, तो दूसरी तरफ उनके काम के बोझ को नहीं देख रही है। सरकार को लिपिक वर्ग के एक काम के बारे में भली-भांति जानकारी है, लेकिन जनता को भी जानकारी देने के लिए आज यह वर्कलोड प्रोटेस्ट किया गया है। काम के हिसाब से वेतनमान की मांग कर रहे हैं और यह कोई भीख नहीं है।

सरकार से तीन दौर की बातचीत हो चुकी

वहीं लिपिक रेखा ने कहा कि हड़ताल का 28वां दिन है और सरकार से तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि रोष प्रदर्शन के माध्यम से अपने काम के बारे में प्रदर्शन किया गया है। आधुनिक डिजिटलाइजेशन के इस दौर में प्रत्येक कार्य लिपिक कार्यालय में काम करते हैं और उन पर वर्कलोड भी बहुत ज्यादा होता है।

काम के बोझ के नीचे लिपिक दब चुके

लिपिक का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक के सारे कार्य लिपिक द्वारा करवाए जाते हैं। वही लिपिक वर्ग का यह भी कहना है कि जहां सरकारी कार्यालयों में डिजिटल के नाम पर काम का वजन बहुत ज्यादा रहता है, लेकिन वेतनमान बहुत कम है और इस काम के बोझ के नीचे लिपिक दब चुके हैं, इसीलिए वेतनमान बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।