Sonipat में भूजल की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रहे है। सोनीपत का काफी क्षेत्र डार्क जोन में जा चुका है। हरियाणा के 5 ब्लॉक को अत्यधिक दोहन की श्रेणी में रखा गया है। भूमिगत जल का सबसे ज्यादा दोहन समर्सिबल पंप लगाने से हो रहा है। अलग-अलग क्षेत्र में पानी की अलग-अलग क्वालिटी नजर आने लगी है और काफी क्षेत्र में पानी क्षारिय हो गया है। हरियाणा में राजस्थान से सटा हुआ क्षेत्र नूहं, मेवात, गुड़गांव, दादरी में पानी के हालात गंभीर हालत में जा पहुंचा है।
वहीं धान की बेल्ट करनाल, पानीपत, सोनीपत क्षेत्र में भी सबसे ज्यादा पानी का दोहन हो रहा है। ज्यादा दोहन होने के चलते 50 फीट पर मिलने वाला पानी 250 से 400 फीट तक जा पहुंचा है। जमीन से पीने के लिए जितना ज्यादा पानी खींचा जा रहा है उसके बाद एक पॉइंट के बाद पीने की पानी की क्वालिटी भी खराब हो जाती है। पीने लायक नहीं रहता। हालत यह भी है कि काफी क्षेत्र में ऐसी स्थिति है कि ज्यादा नीचे से पानी निकालने के दौरान जमीन से गर्म पानी निकल रहा है।
जमीनी पानी का लेवल गहराई में जा चुका

जमीन की गहराई से प्रतिदिन निकाला जा रहे जल की अगर हम बात करते हैं तो यदि भूजल निकासी 70 प्रतिशत है तो उसे सुरक्षित कहा जा सकता है। वहीं 70 से 90 प्रतिशत के बीच वाली जल निकासी को सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आता है और 90 से 100% को क्रिटिकल माना जाता है। लेकिन अगर 100% से भी अधिक भूजल निकासी हो तो उसे अत्यधिक श्रेणी के दोहन में आती है।, सोनीपत जिले के 5 ब्लॉक जिन में सबसे अधिक जमीनी पानी का दोहन होने की वजह से जमीनी पानी का लेवल गहराई में जा चुका है। कृषि विभाग द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान का लक्षण निर्धारित किया गया है।
भूजल स्तर की भारी गिरावट का कारण कृषि क्षेत्र में सबमर्सिबल पंप की मदद से होने वाली सिंचाई को माना जा रहा है। जिसकी शुरुआत वर्ष 1999 और 2000 के आसपास हुईं थीं और अब दिन प्रतिदिन गंभीर स्थिति बनती जा रही है। किसानों को जल संरक्षण के लिए ड्रिप प्रणाली को अपनाकर सिंचाई करना होगा ।