गोहाना

Haryana में मातुराम हलवाई की जलेबी में क्या है बड़ा राज? बड़े-बड़े नेता कर रहें इसकी चर्चा

सोनीपत

Haryana के गोहाना की जलेबी की चर्चा देश-विदेश में हो रही है। राहुल गांधी ने जलेबी की फैक्ट्री लगाने और जलेबी को विदेशों तक पहुंचाने की बात अपने भाषण में कहीं। वहीं गोहाना के लोगों ने कहा कि जलेबी केवल हाथ से ही बनाई जा सकती है। हाथ से बनाई जलेबी का ही स्वाद होता है। उसके बाद गोहाना की जलेबी की बात लगातार सियासत का हिस्सा बन गई और हरियाणा की जनता ने जलेबी की भांति गोल आकार के साथ-साथ कई पार्टी के नेताओं को गोल गोल घुमाकर बड़ी उठा पटक कर दी।

राजनीतिक गलियारों में जितना जिक्र विधानसभा चुनाव को लेकर रहा उससे कहीं ज्यादा गोहाना की जलेबी चर्चा में बनी रही। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी ने गोहाना की जलेबी को लेकर खूब चर्चा की और बड़ी तारीफ करके सियासी माहौल को गर्म रखा, लेकिन सियासी के गर्म माहौल में कई बड़े नेताओं की राजनीति को ठंडा कर दिया। वहीं पिछले दिनों गोहाना में राहुल गांधी ने जनसभा के दौरान मातुराम की जलेबी के डिब्बे को लेकर बड़ा सियासी खेल करने की कोशिश की।

नरेंद्र मोदी ने अपने चक्रव्यूह में फंसा रखा है

राहुल गांधी ने अपने सियासी माहौल को गर्म रखने के लिए ये तक कह डाला कि गोहाना की जलेबी विदेशों तक जानी चाहिए। उन्होंने गोहाना की जलेबी बनाने वाले मातुराम की दुकान को फैक्ट्री की संज्ञा दी, हालांकि जलेबी बनाने वाले मातुराम हलवाई के पोते ने कहा है कि जलेबी को हाथ से ही बनाया जा सकता है और मातुराम के नाम पर सियासत करते हुए राहुल गांधी ने यह भी कहा मातुराम को नरेंद्र मोदी ने अपने चक्रव्यूह में फंसा रखा है।

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राहुल गांधी की फैक्ट्री में जलेबी बनाने की बात पर लगातार कटाक्ष चल रहे हैं। सोनीपत के लोग जहाँ गोहाना में धान की फसल मंडी में बेचकर मातुराम की दुकान पर आकर जलेबी खा रहे हैं तो कुछ किसान भाजपा की जीत की खुशी के लिए खा रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी के बयान पर लगातार लोग मजाक बना रहे हैं। राहुल गांधी ने मातु राम हलवाई की जलेबी को सियासत का रूप देने की कोशिश की लेकिन उनकी सियासत जलेबी की तरह गोल हो गई। हरियाणा में जहां सियासत की जलेबी से कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में नजर आ रही थी तो जनता ने जबरदस्त पटकनी देकर एक तरफ बिठा दिया है।

1958 में पहली बार एक बड़ी जलेबी बनाने की शुरुआत

वहीं मातुराम हलवाई के पोते नीरज ने जलेबी को लेकर कहा है कि यह अच्छा है की जलेबी मार्केट में चल रही है। इस जलेबी में कुछ बड़ा राज है इसलिए बड़े-बड़े नेता इसकी चर्चा कर रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी बहन के लिए जलेबी भेजी है। नीरज ने बताया कि 1958 में उनके दादाजी ने पहली बार एक बड़ी जलेबी बनाने की शुरुआत की थी और अपने दादा की पुश्तैनी काम को लगातार कई पीढ़ी बीत जाने के बाद नीरज संभाल रहे हैं।

वहीं जलेबी बनाने की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें मैदा और बेसन मिलाकर बनाया जाता है। यह मिठाई काफी शुद्ध मानी जाती है ना ही इसमें किसी मिलावट होने की संभावना रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मिठाई 15 दिन तक खराब भी नहीं होती है। देसी घी में जब इसको फ्राई किया जाता है तो यह काफी क्रिस्पी हो जाती है। बाद में इसे मीठे में भिगोकर तैयार किया जाता है। वहीं प्रतिदिन 70 से 80 किलो जलेबी बनाई जाती हैं और उसे लोग हाथ के हाथ खरीद लेते हैं।

काफी नेताओं ने इस जलेबी का स्वाद चखा

हालांकि हास्य अंदाज में उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बात सच भी हो सकती है। उनके यहां पिछले 10 सालों से काफी कारीगर काम कर रहे हैं और अगर मशीन आ गई तो उनके हलवाइयों का काम कहां जाएगा। सबसे ज्यादा ओमप्रकाश चौटाला उनकी दुकान की जलेबी के मुरीद है। हरियाणा के ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के भी काफी नेताओं ने इस जलेबी का स्वाद चखा है और जब भी चुनाव का दौर होता है तो सियासी गलियारों में इस जलेबी से ही एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया जाता है। वहीं उन्होंने यह भी कहा है की जलेबी गोल है और इस जलेबी की भांति ही कई सियासी लोग गोल-गोल घूम गए हैं। हरियाणा में जो बदला हुआ है वह उन्होंने अच्छा ही बताया है।

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