शहर के सुभाष चौक पर जिला प्रशासन द्वारा 17 दुकानों को तोड़ने के आदेश जारी हुए हैं। नोटिस मिलते ही दुकानदारों में हड़कंप मच गया है। वही जिला प्रशासन द्वारा नोटिस में लिखा गया है कि सभी 17 दुकानदारों ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है और इस अतिक्रमण के खिलाफ जिला प्रशासन पीला पंजा चलाएगा।
दुकानदारों का कहना है कि वे पिछले 40 साल से ज्यादा समय से यहां पर अपना कारोबार कर रहे हैं और अपनी रोजी-रोटी के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी सहारा बने हुए हैं।, सरकार से अपील की है कि उन्हें नियमों के मुताबिक राहत मिले और जो राशि जमा कराने का प्रावधान है, दुकानदार उसमें सहमत हैं। उन्होंने कहा कि अगर किराया वसूलना चाहे तो वह भी नियम अनुसार अदा करते रहेंगे।
3 दिन में दुकानों को खाली करने के दिए आदेश
शहर का सबसे व्यस्त बाजार सुभाष चौक पर जिला तहसीलदार कार्यालय की तरफ से 17 दुकानदारों को अवैध कब्जे को लेकर नोटिस भेजे गए हैं और दुकानदारों को दुकान खाली करने के आदेश दिए गए हैं। वही 3 दिन की समय अवधि के दौरान अगर दुकान खाली नहीं की गई तो सभी 17 दुकान पर जिला प्रशासन द्वारा पीला पंजा चलाकर तोड़ दिया जाएगा और स्थानीय दुकानदारों में नोटिस मिलने के बाद हड़कंप मच गया है।
दुकानों को सोनीपत कमेटी द्वारा दिया गया था
दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने करीबन 40 साल पहले दुकानों पर अपना कारोबार शुरू किया था और इन्हीं दुकानों पर अन्य लोग भी निर्भर हैं, जो प्रतिदिन दुकान पर रहकर काम करते हैं। जानकारी के मुताबिक के शुरुआती तौर पर दुकानों को सोनीपत की कमेटी द्वारा दुकानदारों को दिया गया था और जिन का किराया दुकानदार दे रहे थे, लेकिन अब कमेटी ने अपना हाथ पीछे खींच लिया है और अब सोनीपत जिला प्रशासन द्वारा दुकानों को हटाने के लिए कार्रवाई तेज करते हुए नोटिस भेजे हैं।
न्यायालय में भी की जा चुकी अपील
वही दुकानों को लेकर पहले भी अलग-अलग न्यायालय में अपील की जा चुकी है, लेकिन हर जगह से दुकानदारों को निराशा ही मिली है और अब जिला प्रशासन द्वारा सभी 17 दुकानदारों की दुकाने तोड़ने के आदेश को लेकर नोटिस दिए हैं और इसके चलते दुकानदार काफी चिंता में है कि ऐसी स्थिति में वह कहां पर जाएं और कहां जाकर अपनी अपील करें। क्योंकि हर दरवाजे से उन्हें निराशा ही मिली है, लेकिन अब प्रदेश की सरकार से वह अपील करते हुए कह रहे हैं कि उन्हें लेकिन जिला प्रशासन के माध्यम से राहत मिलनी चाहिए, ताकि उनकी रोजी-रोटी खतरे में न पड़े।