सोनीपत : जनअधिकार यात्रा 10 दिसम्बर 2023 को कर्नाटक के बेंगलुरु से शुरू होकर देश के 13 राज्यों, 80 से ज्यादा जिलों से होते हुए 8500 किलोमीटर लम्बी दूरी तय करके गोहाना से सोनीपत होते हुए 3 मार्च 2024 को दिल्ली पहुंचेगी। जनअधिकार यात्रा आज गोहाना पहुंची। इस यात्रा का लक्ष्य आम जनता के मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाना और इसके लिए जनता को जागृत, गोलबन्द और संगठित करना है।
यात्रा में शामिल मुंबई की रहने वाली भारतीय क्रन्तिकारी पार्टी की सदस्य पूजा ने बताया कि यात्रा अभी तक 7500 सौ किलोमीटर का सफर तय कर आज गोहाना पहुंची है, जो 3 मार्च 2024 को दिल्ली पहुंचेगी। देश में आम मेहनतकश लोगों के जीवन की स्थितियों किसी से छिपी नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने जनता के जीवन को नर्क के समान बना रखा है। लोग अपने बच्चों को पोषणयुक्त भोजन, स्तरीय चिकित्सा, गुणवत्ता वाली शिक्षा तक मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। हम इन असली मुद्दों पर न सोच पाएं, जिसके लिए देश के हुक्मरान हमें धर्म और जाति के नाम पर लड़ाने के वास्ते मन्दिर, मस्जिद, आरक्षण के नये-नये जुमलों और अन्धराष्ट्रवादी उन्माद में उलझाते रहते हैं। सभी लुटेरे हुक्मरानों के समान हमारे देश के हुक्मरान भी हमें इस बात पर यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमारी गरीबी, बदहाली, बेरोज़गारी, बेघरी, सामाजिक-आर्थिक असुरक्षा के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। हम ही नाकारे हैं, क्योंकि हर दिन 18 घण्टे काम करने को तैयार नहीं है, क्योंकि हम इतने बच्चे पैदा करते हैं।
भारत में बढ़ रही बेरोजगारी व महंगाई
हमारे देश के हुक्मरान हमें बताते हैं कि अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आई मन्दी के कारण भारत में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है। हमें यकीन दिलाया जाता है कि बेरोजगारी, महंगाई आदि में सरकार की कोई गलती नहीं है, मानो ये चीजें भूकम्प या सुनामी के समान कोई प्राकृतिक आपदा हों, जिन पर किसी का नियन्त्रण नहीं, लेकिन शासक वर्ग द्वारा पढ़ाई जा रही। इस पट्टी में क्या कोई सच्चाई है? बिल्कुल नहीं। ये पट्टी तो हमें इसलिए पढ़ाई जा रही है कि बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक व आर्थिक असुरक्षा को हम किस्मत का लेखा या नियति मान बैठें। सारे लुटेरे हुक्मरान हमेशा यही चाहते हैं।
कार्यस्थितियों में आई अभूतपूर्व गिरावट
सच्चाई यह है कि खास तौर पर पिछले 10 वर्षों में भारत मेहनतकश जनता के जीवन स्तर और उनकी कार्यस्थितियों में अभूतपूर्व गिरावट आई है और इसका कारण मौजूदा सरकार की जनविरोधी नीतियाँ है। पहले भी तमाम सरकारें देश के मालिकों, ठेकेदारों, भूस्वामियों, दतालों और बिचौलियों के हितों की ही सेवा करती थीं, लेकिन 2014 से मौजूद मोदी सरकार ने धनपशुओं की खुल्लेआम सेवा करने और आम जनता को लूटने के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए हैं। इस सच्चाई को समझना आज बेहद जरूरी है।