दिल्ली की गद्दी पर राज करने वाले हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की प्रतिमा हरियाणा में रेवाड़ी के जंक्शन पर लगेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय रेल, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से स्टेशन परिसर में हेमू की प्रतिमा की स्थापना करने का अनुरोध किया है।
पिछले महीनें हेमचंद्र विक्रमादित्य के राज्याभिषेक के अवसर पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में हेमू की याद में एक स्मारक डाक भी किया था। इस पर केंद्रीय रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का मुख्यमंत्री की तरफ से आभार व्यक्त किया है।
हेमचंद्र की उपलब्धियों पर बोले मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य मंच, रेवाड़ी द्वारा उठाई गई सार्वजनिक मांग का समर्थन करते हुए कहा है कि प्रतिमा की स्थापना न केवल सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की उल्लेखनीय उपलब्धियों को श्रद्धांजलि देगी, जिन्हें लोग प्यार से ‘हेमू’ कहते हैं बल्कि हरियाणा की आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के एक स्रोत के रूप में कार्य भी करेगी। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने लगातार 22 युद्धों में विजय प्राप्त की थी और सम्राट अकबर की सेना पर विजयी हुए थे।
हेमचंद्र को हेमू के नाम से जाना जाता है
रेवाड़ी में पले-बढ़े हेमचंद्र विक्रमादित्य को हेमू के नाम से भी जाना जाता है। रेवाड़ी शहर के कुतुबपुर में उनकी आज भी पुरानी हवेली उनकी यादों को संजोए हुए है। इतिहास में हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम कई कीर्तिमान हैं। करीब 450 साल पहले मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 22 युद्धों में लगातार विजयी रहने वाले हेमू ने अकबर की फौज को हराकर दिल्ली की गद्दी पर राज किया था। हेमचंद्र विक्रमादित्य ऐसे हिंदू राजा थे, जिनमें वीरता, रणनीतिक कौशल और राजनीतिक दूर दृष्टि का अद्भुत मेल था।
हेमू के पिता पुरोहिताई करते थे
इतिहासकारों के अनुसार, सम्राट हेमू का जन्म 1501 में राजस्थान के अलवर जिले में गांव मछेरी नामक एक गांव में राय पूर्णदास के यहां हुआ था। इनके पिता पुरोहिताई का कार्य करते थे। सन 1516 में व्यापार करने के लिए मछेरी से रेवाड़ी चले आए। रेवाड़ी उन दिनों एक अच्छा-खासा व्यापार केंद्र था और रेवाड़ी में रहते हुए ही सम्राट हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
महाभारत काल से भी पुराना है रेवाड़ी का इतिहास
रेवाड़ी का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना बताया जाता है। अलग-अलग शताब्दी में अलग-अलग विशेषताओं के साथ रेवाड़ी का इतिहास जुड़ा हुआ है। 16वीं शताब्दी में रेवाड़ी का इतिहास अंतिम हिन्दू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य कि हवेली आज भी रेवाड़ी शहर के कुतुबपुर में स्थित है। ये हवेली करीब 1 हजार साल पुरानी है। करीब 700-800 वर्ग गज में फैली इस हवेली से हेमू की यादें जुड़ी हुई हैं। इसी हवेली में रहकर हेमू पले-बढ़े और आगे चलकर हिंदू सम्राट बन गए।
1873 में बनाया गया था रेवाड़ी रेलवे जंक्शन
रेवाड़ी रेलवे जंक्शन 1873 में बनाया गया था। 1890 तक आते-आते स्टेशन मीटर गेज (छोटी) लाइन का सबसे बड़े स्टेशनों में शामिल होने लगा था। 1989 में यह स्टेशन मीटर गेज में एशिया के सबसे बड़े स्टेशन में शामिल रहा। 2003 में ब्रॉड गेज पहली लाइन बिछाने के बाद 2009 में पूरी तरह ब्रॉड गेज कर दिया गया। रेवाड़ी जंक्शन इस समय नार्दन-वेस्टर्न रेलवे (एनडब्ल्यूआर) का सबसे बड़ा स्टेशन है। जहां से 6 दिशाओं में ट्रेन चलती है।