supreme court 07 sep 2022. 846

SYL नहर विवाद पर High Court ने Punjab सरकार को लगाई फटकार, कहा: इस मुद्दे पर राजनीति न करे

बड़ी ख़बर हरियाणा

हरियाणा और पंजाब के सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति न करे। पंजाब सरकार कानून से ऊपर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें।

सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार के रवैये से काफी नाराज दिखी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पंजाब सरकार इस मामले में आगे बढ़े। अगर सुप्रीम कोर्ट समाधान की तरफ बढ़ रही है तो पंजाब सरकार भी पॉजिटिव रुख दिखाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में होने वाली डेवलपमेंट के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब जनवरी 2024 में होगी।

केंद्र को सर्वे शुरू करने के दिए आदेश

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हरियाणा सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि 2 दशक से यह विवाद उलझा हुआ है। पंजाब सरकार नहीं चाहती कि इसका हल निकले। पिछली 2 मीटिंगों में कोई हल नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि पंजाब की तरफ सतलुज यमुना लिंक नहर की मौजूदा स्थिति सर्वे की प्रक्रिया शुरू की जाए। जिसमें यह देखना है कि कितनी जमीन है और कितनी नहर बनी हुई है। इसमें पंजाब सरकार को साथ देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के लिए केंद्र से आने वाले अधिकारियों को पंजाब सरकार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। राजस्थान सरकार ने भी कहा कि पंजाब सरकार का रुख इस दिशा में आगे बढ़ने के जैसा नहीं लग रहा है।

केंद्र से मौजूदा हालात पर मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हरियाणा में सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है, लिहाजा पंजाब भी इस समस्या का हल निकालने की दिशा में काम करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लंबे समय से चल रहे इस विवाद का हल निकालने की दिशा में काम कर रहे हैं हमे उम्मीद है कि पंजाब सरकार भी इस दिशा में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी रिपोर्ट मांगी की पंजाब में सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण के मौजूदा हालात कैसे हैं।

पंजाब सीएम भगवंत  मान ने कहा था- हमारे पास नहीं पानी

पंजाब के सीएम भगवंत मान ने इस बारे में कई बार कहा कि हमारे पास किसी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। जितना पहले से जा रहा है, वह जा ही रहा है। वहीं सीएम ने यह तंज भी कसा था कि जब पंजाब में बाढ़ का पानी आया तो तब हरियाणा ने क्यों नहीं कहा कि यह पानी हमें दे दो।

1966 से शुरू हो गया था विवाद

पंजाब और हरियाणा में सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद, यानी पानी के बंटवारे का झगड़ा उसी समय शुरू हो गया था जब पंजाब से अलग हरियाणा राज्य का गठन हुआ। 1966 में हरियाणा के विभाजन के बाद भारत सरकार ने पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 78 का प्रयोग किया। पंजाब के पानी में से 50 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा को दे दिया गया जो 1955 में पंजाब को मिला था। इस पर पंजाब का आरोप है कि तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 का प्रयोग करना गैर संविधानिक था। संविधान का उल्लंघन करके अंतर्राज्य जल विवाद एक्ट, 1956 के अधीन ट्रिब्यूनल की जगह केंद्र सरकार द्वारा धारा 78 के तहत हरियाणा को पानी दिया गया।

1979 में सुप्रीम कोर्ट गया हरियाणा

पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को पंजाब ने सतलुज नहर के निर्माण को स्वीकृति दी। हालांकि बाद में पंजाब ने सतलुज यमुना नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी शुरू कर दी। इस पर 1979 में हरियाणा ने सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।