Haryana में जुलाई से ‘होले-होले’ से चल रहे मानसून ने अब अपनी प्रदेश में तीव्रता अचानक से बढ़ा दी है। गत तीन दिनों में हुई बारिश ने प्रदेश के अधिकांश जिलों को जमकर भींगा दिया है। मौसम विभाग(IMD) ने अनुमान जताया है कि प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर एक हफ्ते तक 7 बरकरार रह सकता है। हालांकि, 31 अगस्त से 1 सितंबर तक बारिश कुछ कम होने के आसार हैं। लेकिन 2 सितंबर से फिर बारिश बढ़ने लगेगी। 2 सितंबर को प्रदेश के 8 जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट भी जारी किया है।
प्रदेश में 1 अगस्त से अब तक 177.9 मिलीमीटर बरसात हो चुकी है, जबकि सामान्य बारिश 140.8 एमएम होती है, यानी सामान्य से 26% ज्यादा बारिश हुई है। मानसून सीजन में 1 जून से 29 अगस्त तक 295.1 एमएम बारिश हुई है, सामान्य बारिश 344.6 से 14 प्रतिशत कम है । मौसम विभाग ने 2 सितंबर को प्रदेश के 8 जिलों में भारी बरसात होने का यलो अलर्ट जारी किया है। इनमें यमुनानगर, करनाल, गुरुग्राम, नूंह, पलवल, फरीदाबाद, सोनीपत और पानीपत जिले शामिल हैं।
तो प्रदेश में अब तक हुई बारिश का ये है डेटा
हरियाणा में 8 जिले ऐसे रहे, जहां 24 घंटे में झमाझम बारिश हुई। बारिश से कई जगह जलभराव हो गया। कई इलाकों में घंटों बिजली गुल हो गई। सबसे ज्यादा बारिश भिवानी में हुई, यहां 14.0 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा महेंद्रगढ़ में 9.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। वहीं कुरुक्षेत्र में 8.0, चरखी दादरी में 6.5 एमएम, बारिश हुई। पानीपत, रोहतक, कैथल में भी मौसम में बदलाव देखने को मिला, यहां भी कुछ एक स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी देखने को मिली है।
16 जिलों में सामान्य से भी कम बारिश
इस ‘तीव्र’ मानसून में प्रदेश के 16 जिले ऐसे भी हैं, जिनमें मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई है। कैथल, करनाल और पंचकूला जिले तो ऐसे हैं, जहां सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हो पाई। हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलों में सामान्य से 30 प्रतिशत से भी कम बारिश हो पाई है। महेंद्रगढ़ और नूंह जिलाें में जमकर बादल बरसे हैं। नूंह में सामान्य से 63 प्रतिशत और महेंद्रगढ़ जिले में सामान्य से 51 प्रतिशत तक अधिक बारिश दर्ज की गई है।
जुलाई में हरियामा से ‘रुष्ठ’ रहा मानसून
हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से अपनी फसल की सिंचाई करनी पड़ रही है।