Bilkis Bano gangrape case

Supreme Court का बड़ा फैसला : Bilkis Bano गैंगरेप मामले में फिर सलाखों के पीछे होंगे 11 दोषी, 2 सप्ताह में करेंगे सरेंडर, 5 माह की गर्भवती थी पीड़िता

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बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले और वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद दोषियों को अब फिर से सलाखों के पीछे जाना होगा। जिन्हें दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करने के निर्देश जारी किए गए हैं। बता दें कि मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

गौरतलब है कि सोमवार को मामले में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ ने फैसला सुनाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया। इन्हें गुजरात सरकार ने माफी देते हुए 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को वापस सलाखों के पीछे जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट का अपने फैसले में कहना है कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वहीं राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है। दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती, बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर निर्णय ले सकती है। बता दें कि बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी। कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए कहा कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग सत्ता पर कब्जा और सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है।

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यह है पूरा मामला

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बताया जाता है कि गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़क गए थे। दंगों के दौरान जिला दाहोद के लिमखेड़ा तालुका में गांव रंधिकपुर में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिप गई थी। जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था तो बिलकिस बानो 21 वर्ष की थी और 5 माह की गर्भवती थी।

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दंगाइयों ने बिलकिस के साथ गैंगरेप ही नहीं, बल्कि उनकी मां और तीन अन्य महिलाओं को भी हवस का शिकार बनाया। इस हमले में उनके परिवार के 17 में से 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 6 लोग लापता पाए गए। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और 3 साल का बच्चा ही बचे थे। इसके अलावा बिलकिस की 3 वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी।

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बता दें कि गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जनवरी 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। पिछले साल 11 दोषियों को सजा में छूट दिए जाने और रिहा किए जाने के तुरंत बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की थी।

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बिलकिस ने नवंबर में शीर्ष अदालत का रुख किया था। वहीं अदालत में दोषियों का कहना था कि वह पहले ही 14 साल से अधिक समय जेल में बिताकर बहुत कुछ झेल चुके हैं। उन्हें परिवार से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए। अनुरोध किया था कि उन्हें खुद को सुधारने का मौका दिया जाए।