कतर की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसैनिकों को आखिरकार 18 महीने बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि आठ में से सात लोग पहले ही भारत लौट चुके है। जनवरी में इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार उन आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है जो दाहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम कर रहे थे और जो कतर में हिरासत में थे। आठ में से सात लोग भारत लौट चुके है। इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को लेकर कतर के अमीर द्वारा लिए गए फैसले का हम स्वागत करते है।
जब अक्तूबर 2023 में कतर की अदालत ने सभी पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा सुनाई तो भारत में जमकर हंगामा मचा था। विपक्ष ने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया। वहीं सरकार ने लगातार इस बात को दोहराया कि वह कूटनीतिक बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल निकाल लेगी। इसके बाद लगातार दोनों देशों में पर्दे के पीछे डिप्लोमेटिक बातचीत होती रही।
इस मामले में कब क्या हुआ
अगस्त 2022 में आठ भारतीय नागरिकों को अज्ञात कारणों के चलते गिरफतार कर जेल में डाल दिया गया। रिपोर्टस के मुताबिक इन्हें कतर की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद अक्तूबर 2022 में ये सभी नागरिक कतर की जेल में कैद थे। इसके बाद दोहा में भारतीय राजदूत और मिशन के उप प्रमुख ने नौसेना के दिग्गजों से मुलाकात की। 3 अक्तूबर के सभी गिरफ्तार नागरिकों को पहला काउंसलर एक्सेस मिला। डहरा ग्लोबल के सीईओ ने भी अपने अधिकारियों की मदद करने की कोशिश की लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दो महीने एकान्त कारावास में बिताने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
2023 में एक मार्च को इन सभी पूर्व नौसेनिकों की जमानत याचिका कतर की कोर्ट से खारिज हो गई। 25 मार्च को कोर्ट ने सभी 8 पूर्व नौसैनिकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए और 29 मारिच को कतर के कानून के तहत मुक्दमें की कार्यवाही शुरु हुई। मई 2023 में अल धारा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी भारतीय लोग घर लौट आए। अगस्त 2023 में गिरफ्तार लोगों को उनके सहकर्मियों के साथ एकान्त कारावास से जेल वार्ड में ले जाया गया जहा हर जेल में सिर्फ दो आदमी थे। इसके बाद अक्तूबर 2023 में आठ भारतीयों को 26 अक्तूबर को कतर की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई।
भारत ने फैसले पर हैरानी जताई और कहा कि वह मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशेगा। नवंबर 2023 में मौत की सजा के खिलाफ एक अपील दायर की गई और कतर की एक उच्च अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया। हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की कानूनी टीम द्वारा यह अपील दायर की गई थी कि कतर की एक अदालत द्वारा आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई जारी है और इस मामले पर कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है। सरकार भारतीय नागरिकों को सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता देना जारी रखेगी।
दिसंबर 2023 में कतर ने भारतीय राजदूत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों से मुलाकात की जिन्हें अक्तूबर में कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। 27 दिसंबर को कतर की एक अपीलीय अदालत ने सभी आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा को कम कर दिया। अपीलीय अदालत के फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रुप में भी देखा गया क्योंकि यह फैसला दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमील शेख तमीम बिन हमद अल थानी के सात पीएम मोदी की मुलाकात के कुछ हफ्तों बाद आया था। जनवरी 2024 में कतर की अदालत द्वारा आठ भारतीय पूर्व नौसेना कर्मियों की मौत की सजा को कम करने के एक हफ्तें बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि कतर के सुप्रीम कोर्ट में मामले की अपील करने के लिए 60 दिन की समय सीमा मिली है। एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि विदेश मंत्रालय की कानूनी टीम के पास कोर्ट का आदेश है जो एक गोपनीय दस्तावेज है।
12 फरवरी 2024
कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के आठ दिग्गजों को दोहा ने रिहा कर दिया। उनकी रिहाई पर केंद्र सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर अनुभवी अधिकारियों को रिहा करने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि भारत सरकार आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है, जिन्हें कतर में हिरासत में लिया गया था। इनमें से सात भारत लौट आए है। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी के लिए कतर के अमील के फैसले की सराहना करते है।
ऐसे सामने आया था मामला
पिछले साल 25 अक्तूबर को कमांडर पूर्णेंदु तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैरकानूनी तरीके से हिरासत में है। इन अफसरों पर कथित तौर पर इजारायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। इन अधिकारियो और न नई दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया। नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल दहरा कंपनी में काम करते थे। ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कसल्टेसी सर्विस प्रोवाइड करती थी। कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी। इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीटर खमीस अल आजम चलाते थे।
कौन है ये भारतीय ?
नेवी के इन आठ पूर्व अफसरों के नाम कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमीत नागपाल और राजेश है। इन सभी पूर्व अफसरों ने भारतीय नौसेना में 20 साल तक सेवा दी थी। नेवी में रहते हुए उनका कार्यकाल बेदाग रहा है और ये इंडियन नेवी में इंस्ट्रक्टर्स और ट्रेनर्स जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहें।