आज है ओणम त्यौहार का सबसे खास दिन, जानिए इस त्यौहार का महत्व और इससे जुड़ी कथा

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वैसे तो भारत में तरह-तरह के धर्म के लोग रहते है, और सभी धर्मों के अपने-अपने त्यौहार है। कुछ त्यौहार तो देश के हर कोने में मनाये जाते है, तो कुछ किसी विशेष क्षेत्र या राज्य में मनाये जाते है। किसी राज्य के विशेष त्यौहार की बात करें तो दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्वपूर्ण हैं। ओणम को मुख्य रुप से केरल राज्य में मनाया जाता है।

ओणम एक मलयाली त्यौहार है जो किसानों का फेस्टिवल होता है। लेकिन केरल में सभी लोग इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस त्यौहार के अवसर पर राज्य में लोकल हॉलिडे भी होता है यहां इस दौरान 4 दिन की छुट्टी रहती है। इस त्यौहार की इतनी प्रसिद्धता को देखते हुए, 1961 में इसे केरल का नेशनल फेस्टिवल घोषित कर दिया। ओणम का त्यौहार केरल में 10 दिन तक मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है ओणम का त्यौहार

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ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो ज्यादातर अगस्त-सितंबर महीने के समय में ही आता है। तमिल कैलेंडर में इस महीने को अवनी माह कहा जाता है। जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है। थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दु कैलेंडर में श्रावन का महीना कहते है।

इस बार ओणम का त्यौहार 20 अगस्त से शुरु हुआ था और 31 अगस्त तक चलेगा। ओणम त्यौहार में थिरुवोनम दिन का सबसे खास महत्व होता है जो आज के दिन है। थिरुवोनम नक्षत्र की शुरुआत आज दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शुरु होगी और रात 11 बजकर 50 मिनट पर खत्म हो जाएगी।

ओणम त्यौहार का महत्व और कैसे मनाया जाता है

ओणम एक प्राचीन त्यौहार है, जो अभी भी आधुनिक समय में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम के साथ-साथ केरल में चावल की फसल का त्यौहार और वर्षो के फूल का त्योहार मनाया जाता है। ओणम का त्यौहार दस दिन तक चलता है पहले औऱ आखिरी दिन को थीरुओणम कहा जाता है। इन दस दिनों के दौरान केरल और आस-पास के राज्यों में जबरदस्त आयोजन होते है।

कथकली का डांस, सर्प नौका दौड़, जैसे खेल खेले जाते है और कई तरह के मेले लगते है। इस दिन पुरुष फूल लाते है और महिलाएं इन फूलों से घरों को सजाती है, घर के मुख्य गेट पर रंगोली बनाती है। ओणम की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान विष्णु से जुड़ी हुई हैं।

लोगों का मानना है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए, उनके हालचाल पुछने के लिए, उनकी खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है। राजा महाबली के सम्मान में ये त्यौहार मनाया जाता हैं।

ओणम त्यौहार से जुड़ी कथा

ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई हैं। दक्षिण भारत में ये त्यौहार महाराजा बलि के धरती पर स्वागत के लिए मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर महाराजा बलि से दान के रुप तीन पग जमीन मांगी थी।

राजा बलि सच्चे हद्य के स्वामी होने के साथ-साथ बहुत बड़े दानी भी थे। उन्होनें तीन पग जमीन देने के लिए हां कर दी तब वामन अवतार लेकर राजा बलि की परीक्षा ले रहे भगवान विष्णु ने विशाल स्वरुप अपनाया और एक पग में धरती और दुसरे पग में आसमान नाप लिया, तीसरे पग के लिए जब कुछ नहीं बचा तो अपना प्रण रखने के लिए राजा बलि ने अपनी छाती आगे कर दी।

इस तरह उनके रहने के लिए जब जगह ही नहीं बची तो भगवान विष्णु ने उनको पाताल लोक में भेज दिया। इसके बाद राजा बलि हर साल सावन के महीने में श्रावण नक्षत्र में अपनी प्रजा की सुध लेने धरती पर आते हैं। इस तरह केरल में राजा बलि के स्वागत में ओणम का त्यौहार मनाया जाता हैं।