➤ आरा में 15 साल के छात्र मोहित ने की आत्महत्या, पूरा शहर स्तब्ध
➤ स्कूल से लौटकर बहनों संग डांस किया, फिर फंदे से झूल गया, मां ने अस्पताल में दी सांसें
➤ ‘सरकारी नौकरी नहीं करूंगा… CA बनूंगा’ कहने वाला बच्चा खामोश हो गया
बिहार के भोजपुर जिले के आरा शहर से एक झकझोर देने वाली खबर आई है, जहां गोढ़ना रोड के रहने वाले महज 15 साल के छात्र मोहित ने आत्महत्या कर ली। यह घटना बुधवार की शाम उस वक्त हुई जब मोहित स्कूल से लौटकर सामान्य तरीके से अपने घर में हंसी-मजाक करता नजर आया। वह बहनों के साथ डांस कर रहा था, फिर अचानक बोला—“दीदी, तू लक्ष्मी है, आशीर्वाद दे।”** किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह उसका आखिरी संवाद होगा।**

परिवार में तीन बहनों का इकलौता भाई मोहित पढ़ाई में बेहद तेज़ था और चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनने का सपना देख रहा था। वह अकसर कहा करता था, “सरकारी नौकरी नहीं करूंगा, खुद की पहचान बनाऊंगा, पैसा कमाऊंगा…”। उसके इसी जज़्बे और उत्साह को देखकर परिवार को उस पर गर्व था। लेकिन बुधवार की शाम, सबकुछ एक झटके में बदल गया।

मोहित ने ऊपर वाले कमरे में जाकर खुद को पंखे से फांसी लगा ली। काफी देर तक जब वह नीचे नहीं आया तो उसकी बहनें उसे देखने गईं। कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था। दरवाज़ा तोड़कर देखा गया तो मोहित पंखे से लटका मिला। चीख-पुकार मच गई। पड़ोसी दौड़े, परिजनों ने तुरंत उसे नीचे उतारा और अस्पताल लेकर भागे।
घटना के समय मोहित की मां चांदनी कुमारी, जो बिहार पुलिस में होमगार्ड हैं, अपनी ड्यूटी पर थीं। उन्हें जैसे ही बेटे के फंदे पर लटकने की सूचना मिली, वह वर्दी में ही दौड़ती हुई अस्पताल पहुंचीं। मां ने बेटे को मुंह से सांस दी, डॉक्टरों से मिन्नत की, लेकिन डॉक्टरों ने जवाब दे दिया – “बेटा अब नहीं रहा…”।

सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन परिवार और आसपास के लोगों का कहना है कि मोहित किसी बात को लेकर तनाव में नहीं था। वह हंसता-खेलता बच्चा था। संभव है कि किसी असामान्य मानसिक झटके या तात्कालिक भावनात्मक वेग में उसने यह कदम उठाया हो।
पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। मोहल्ले के लोग और स्कूल के साथी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि जो बच्चा सुबह तक मुस्कुरा रहा था, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा।
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस दर्दनाक घटना ने न केवल एक परिवार बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज के बच्चों पर कैसा और कितना दबाव है, और हमें उन्हें किस तरह से समझने और सपोर्ट करने की ज़रूरत है।

