Pneumonia

सावधान! सर्दी में जानलेवा साबित हो सकता है pneumonia, ध्यान नहीं दिया तो जाना पड़ सकता है Hospital

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बदलते मौसम के साथ कई बीमारियां आना आम बात है, क्योंकि तापमान में बदलाव के कारण अनेक वायरस पनपते हैं, जो आमतौर पर बीमारियों के रूप में हमारे शरीर में घर बना लेते हैं। सर्दी के मौसम में खांसी-जुकाम से लेकर गले में खराश, सुस्ती फैलना आम, भोजन और पानी निगलना जैसी अनेक छोटी-छोटी बीमारियां वायरस के रूप में हमारे आसपास रहती हैं। इनके अलावा अगर बात करें निमोनिया की तो यह हमारे शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण है, जो सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले सकता है। जिसका बचाव बेहद जरूरी है।

गौरतलब है कि सर्दी के मौसम में हमारा शरीर जल्दी ठंडा हो जाता है। ऐसे में साधारण बीमारियों को भी ठीक करना मुश्किल भरा रहता है। निमोनिया सर्दी या फ्लू से शुरू हो सकता है, जो कीटाणुओं को आपके फेफड़ों तक पहुंचने की अनुमति देता है। निमोनिया होने पर फ्लू जैसे लक्षण महसूस होते हैं। यह लक्षण धीरे-धीरे या फिर तेजी से फैल सकते हैं। सर्दी में निमोनिया आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है। यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण फेफड़ों की छोटी-छोटी थैलियों में फैल जाते हैं। निमोनिया से आमतौर पर छाती में विशेष आवाजें पैदा होती हैं। इन थैलियों में तरल पदार्थ भरने से व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

आमतौर पर खांसी-जुकाम, संक्रमित वस्तुओं को छूना या फिर मुंह या नाक को छूने से भी निमोनिया फैल सकता है। बैक्टीरियल निमोनिया के जोखिम को कम करने के लिए उचित व्यायाम, आराम और स्वच्छ आहार लेना जरूरी है। शुरुआत के दिनों में निमोनिया हल्की बीमारी हो सकती है, लेकिन वक्त के साथ यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। ऐसे में बिगड़ता निमोनिया हमारे जीवन के लिए खतरा हो सकता है।

निमोनिया 1

शरीर में 5 तरह का होता है निमोनिया

चिकित्सकों की मानें तो शरीर में निमोनिया 5 प्रकार का होता है। इनमें पहला बैक्टीरियल निमोनिया है, जो शरीर कमजोरी, कोई बीमारी, पोषण की कमी, बुढ़ापे के कारण व्यक्ति के शरीर में जल्दी घर बना लेता है। आमतौर पर बैक्टीरियल निमोनिया सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। दूसरा वायरल निमोनिया है, जो इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के साथ कई वायरल से होता है। तीसरा माइकोप्लाज्मा निमोनिया, जिसके कुछ अलग लक्षण होते हैं। यह माइकोप्लासम निमोने नामक जीवाणु के कारण होता है। वहीं चौथा एस्पिरेशन निमोनिया, जो अस्वच्छ भोजन, तरल पदार्थ या धूल से जल्दी शरीर में प्रवेश करता है। इस निमोनिया को कभी-कभी ठीक करना बड़ा मुश्किल भरा होता है। पांचवां फंगल निमोनिया है, जो दूषित मिट्टी या हवा के कारण व्यक्ति को अपना शिकार बना लेता है।

निमोनिया से जुड़े लक्षण

निमोनिया से जुड़े लक्षणों की बात करें तो इसके शुरूआती दौर में हरे कफ के साथ गंभीर खासी, ठंड लगना, सिरदर्द के साथ तेज बुखार होना, सांस लेने में तकलीफ होना, भूख न लगना, मांसपेशियों में दर्द होना, ऑक्सीजन स्तर का कम होना, लॉ ब्लड प्रेशर, दस्त, उल्टी और शरीर में पसीना आने जैसे कई लक्षण शामिल हैं। यदि आपके इस संक्रमण का कारण बैक्टीरिया है तो इसका इलाज एंटीबायोटिक्स से संभव है। एंटीबायोटिक्स ऐसी दवा हैं, जो बैक्टीरिया को मार देती है। डॉक्टरों की सलाह से एंटीबायोटिक्स लेकर इस बीमारी को शुरुआती दिनों में ही ठीक किया जा सकता है। एंटीबायोटिक्स को गोली या ड्रिप के माध्यम से लिया जा सकता है।

इस प्रकार पा सकते हैं निजात

गौरतलब है कि निमोनिया के शुरुआती दौर में कुछ घरेलू उपाय करके निजात पाई जा सकती है। अगर लक्षणों के साथ इसके बढ़ने के संकेत मिले, तो यह बीमारी व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचा सकती है। बता दें कि एंटीबायोटिक्स आमतौर पर निमोनिया के पहले संकेत पर दी जाती हैं। डॉक्टरों की मानें तो एंटीबायोटिक लेने के 5 दिन के अंदर यदि निमोनिया के लक्षणों में सुधार नजर नहीं आए तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है।  कभी-कभी एंटीबायोटिक की खुराक बदलने या फिर एक से अधिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। जिन लोगों का निमोनिया ज्यादा बिगड़ जाता है, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। जिससे डॉक्टर निमोनिया के कारणों का पता लगाने के लिए व्यक्ति के थूक, रक्त और मूत्र के नमूनों की जांच कर सकें।

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