One Nation One Election proposal

वन नेशन-वन इलेक्शन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी, जानिए अब क्या होगा?

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एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी।

रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी।

शीतकालीन सत्र में बिल लेकर आएगी सरकार।

देश में एक देश एक चुनाव को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट इसपर आज मोदी कैबिनेट को दी जिसके बाद उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया। हालांकि इसके बाद आगे का सफर आसान नही होने वाला है। इसके लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है, जिसके बाद ही इसे लागू किया जाएगा।

एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को आज नरेंद्र मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। हालांकि, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है। 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने वन नेशन वन इलेक्शन का वादा किया था।

17 सिंतबर को ही मिल गए थे संकेत
मार्च में, राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में पैनल ने अपनी 18,626 पेज वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कैबिनेट की ओर से हां के संकेत एक दिन पहले ही मिल गए थे, जब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ मोदी सरकार 3.0 के कार्यकाल के दौरान अगले पांच वर्षों के भीतर लागू किया जाएगा।

शाह ने कहा था कि सरकार इस कार्यकाल के भीतर एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करने की योजना बना रही है। पिछले महीने ऐतिहासिक तीसरी बार शपथ लेने के बाद अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का जिक्र किया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि लगातार चुनाव देश के विकास को धीमा कर रहे थे।

बीजेपी के सहयोगी दलों का भी मिला साथ
बीजेपी सहयोगी, जेडीयू और एलजेपी ने भी औपचारिक रूप से इस कदम का समर्थन किया है, वहीं विपक्षी दलों ने विरोध किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि जेडीयू एनडीए की एक राष्ट्र-एक चुनाव योजना का पूरा समर्थन करता है। ऐसा करने से देश को न केवल लगातार चुनावों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है और कैसे लागू होगा?
सरल शब्दों में कहें, तो इसका मतलब है कि एक ही समय या एक ही वर्ष में केंद्र और राज्य के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए सभी भारतीय लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान करेंगे। यही नहीं वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होते ही नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी साथ होंगे। वर्तमान में, केंद्र सरकार का चयन करने के साथ-साथ एक नई राज्य सरकार के लिए भी लोगा मतदान करते हैं। एक देश एक चुनाव लागू होते ही संसाधनों की भी बचत होगी।

एक राष्ट्र एक चुनाव लागू होने में अभी बाधाएं भी कई हैं। कैबिनेट से पास होने के बाद सरकार इसपर बिल लाएगी। संविधान में संशोधन और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ-साथ संभवतः प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा उस संशोधन का अनुमोदन किए बिना नहीं इसे लागू नहीं किया जा सकेगा। सदनों के विघटन, राष्ट्रपति शासन या यहां तक कि एक लटके विधानसभा या संसद के कारण होने वाले ब्रेक से कैसे निपटा जाए, इस पर अभी भी कोई वास्तविक स्पष्टता नहीं है।

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