Chhath Festival 2023 : लोक आस्था के लगातार चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व का सोमवार प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ समापन किया गया। देश के विभिन्न प्रदेशों में जगह-जगह बनाए गए नहरों और तालाब के घाटों पर लोग अलसुबह ही पहुंचने लगे। घाटों पर हर जगह चहल-पहल भरा माहौल रहा। फिर व्रतियों की भीड़ ने सुबह विधिवत भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा किया। इसी के साथ आज छठ महापर्व संपन्न हुआ।
छठ का पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। महिलाओं की ओर से छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। बता दें कि छठ महापर्व की शुरुआत शुक्रवार 17 नवंबर को पहले दिन नहाए खाए के साथ की गई थी। इसके बाद छठ महापर्व में व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखा। रविवार शाम को जगह-जगह घाटों पर पहुंचकर ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की।

प्रदेशभर के विभिन्न शहरों में बनाए गए घाटों और यहां पहुंचने वाले रास्तों पर छठ मैया के मंगल गीत गूंजने जयकारें गूंज उठे। फिर सोमवार को अलसुबह ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। चार बजते ही व्रती पानी में उतर गए। सूर्य उदय होने तक उनकी आंखें आसमान की तरफ निहारती रही। इस दौरान उत्सव व उल्लास का वातावरण दिखाई दिया।

प्रात: काल सूर्य के उदय होते ही श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। व्रतियों ने भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृद्धि और मंगल कामना की। इस दौरान भक्ति से ओतप्रोत माहौल में जमकर जयघोष हुआ। विधिवत तरीके से उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर छठ महापर्व संपन्न हुआ।

इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें हर साल छठ महापर्व की पूजा का इंतजार रहता है। वह विवाह के बाद से ही छठ महापर्व पर व्रत कर रही हैं। छठी मैया की कृपा से उनके सभी काम सकुशल हो रहे हैं। छठ पर व्रत रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास रहता है। छठ मैया की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है।

महिलाओं ने बताया कि नहाय खाय से शुरू छठ महापर्व का आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया है। चौथा दिन सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है।

इससे पहले छठ के दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। बता दें कि छठ पर्व मनाने के लिए लोग एक सप्ताह पहले ही अपने घरों को लौटने लगे थे। छठ पूजा में शामिल होने के लिए लोग अपने-अपने शहर पहुंचे।

मान्यता है कि जो एक बार छठ की पूजा शुरू करता है, उसे यह पूजा तब तक करनी पड़ती है, जब तक दूसरी पीढ़ी से कोई व्रत को न धारण कर ले। बता दें कि केवल बिहार में ही करीब सवा करोड़ लोगों के घरों में छठ पूजा का महोत्सव मनाया जाता है। वहीं उत्तर प्रदेश और झारखंड के बाद अब यह पर्व विभिन्न प्रदेशों के शहरों में मनाया जाने लगा है।

वहीं पानीपत में रविवार को पूर्वांचल वासियों की ओर से छठ महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल, दिल्ली से भाजपा सांसद एवं भोजपुरी गायक मनोज तिवारी और करनाल लोकसभा सांसद संजय भाटिया ने शिरकत की थी। इस दौरान दोनों ने पूर्वांचल वासियों के साथ ढलते सूर्यदेव को अर्घ्य भी दिया और पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में आज 300 जगहों पर महोत्सव के तहत 5 लाख परिवार छठ महापर्व मना रहे हैं।

मनोहर लाल ने पूर्वांचल वासियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आज हरियाणा के विकास में पूर्वांचल वासियों की भी अहम भूमिका है। वह औद्योगिक क्षेत्र के विकास में अपनी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा भवन निर्माण से लेकर कृषि तक के क्षेत्र में इस समाज का बड़ा योगदान है। इस दौरान सांसद एवं भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने अपने गीतों से समा बांधे रखा। उन्होंने कहा कि आज देश में कोई अन्य मुख्यमंत्री नहीं है, जो पूर्वांचलियों के बीच पहुंचकर छठ महापर्व मना रहा है। इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से पानीपत में तीन जगह घाट के विस्तार की घोषणा पर मनोज तिवारी और पूर्वांचल वासियों ने उनका आभार जताया।

