हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की स्थिति खतरे में है। राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों ने अपने पार्टी के खिलाफ वोट दिया और इससे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, उन्हें अपमानित महसूस हो रहा है। वहीं एक विधायक ने कांग्रेस हाईकमान से मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की है। अगर ऐसा होता है, तो वे कांग्रेस में वापस आ सकते हैं।
बता दें कि पहले ही हिमाचल के नेता जयराम ठाकुर ने गवर्नर से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग की है। अगर विपक्ष को इसमें सफलता मिलती है, तो मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू को मुश्किलें आ सकती हैं। हिमाचल विधानसभा में वर्तमान स्थिति में कांग्रेस सरकार के पास कुछ मौके हैं, लेकिन उनके लिए चुनौतियां भी हैं। वह विपक्षी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।कांग्रेस विधायकों के अन्य दलों के साथ मिलकर राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन अचानक खेल पलट गया। उन्होंने क्रॉस वोटिंग करके विपक्षी दल के पक्ष में वोट दिया और इससे बीजेपी के उम्मीदवार की जीत हो गई।
विधायकों की बढ़ी नाराजगी
राज्यसभा चुनाव से पहले ही विधायकों ने ऐसे संकेत दिए थे कि वे कांग्रेस के खिलाफ वोट करेंगे, लेकिन सरकार ने इसे नजरंदाज किया। इससे विधायकों की नाराजगी बढ़ी और वे उनके पक्ष में वोट कर दिए। कांग्रेस सरकार के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में संकट की स्थिति बन चुकी है। राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों ने अपनी पार्टी के खिलाफ वोट किया। जिससे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
अचानक पलट गया खेल
हिमाचल विधानसभा में वर्तमान स्थिति में कांग्रेस सरकार के पास कुछ मौके हैं, लेकिन उनके लिए चुनौतियां भी हैं। वह विपक्षी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। कांग्रेस विधायकों के अन्य दलों के साथ मिलकर राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन अचानक खेल पलट गया। उन्होंने क्रॉस वोटिंग करके विपक्षी दल के पक्ष में वोट दिया और इससे बीजेपी के उम्मीदवार की जीत हो गई। इसके अलावा सरकार को फिनैंशियल समस्याओं का सामना भी करना होगा।
अंतरण डिफेक्शन लॉ का लेना पड़ सकता है सहारा
कांग्रेस को इस संकट से निपटने के लिए अंतरण डिफेक्शन लॉ का सहारा लेना पड़ सकता है, जो विधायकों को सरकार के खिलाफ वोट नहीं डालने देता है। हालांकि, इसके बावजूद भी कांग्रेस के पास संकट को हल करने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं है। कांग्रेस के पास विधानसभा में बहुमत है, लेकिन उनकी सरकार खतरे में है। भाजपा के पक्ष में होने वाली क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस को बहुमत से एक सीट कम मिल सकती है। इस स्थिति में कांग्रेस को अपनी सरकार को स्थायी बनाए रखने के लिए संख्या बल का सहारा लेना होगा।
अगले वित्तीय वर्ष का बजट करना होगा पारित
साथ ही कांग्रेस को अपनी विधायकों को संगठित रखने और उनकी नाराजगी को दूर करने की भी जरूरत है। विधायकों के बीच की असंतोष को दूर करना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा कांग्रेस को वित्तीय संकट का सामना करना होगा, क्योंकि उन्हें अगले वित्तीय वर्ष का बजट पारित करना होगा। देखा जा रहा है कि क्या कांग्रेस अपनी सरकार को स्थायी बनाए रखने के लिए बजट को सदन में पास कर पाएगी या नहीं।