दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद यमुना जल विवाद के समाधान की उम्मीद बढ़ गई है। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही यह संभावना जताई जा रही है कि हरियाणा और दिल्ली के बीच जारी जल विवाद का अंत हो सकता है। रेखा गुप्ता खुद हरियाणा से हैं और ऐसे में भाजपा सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की उम्मीद की जा रही है।

दिल्ली-हरियाणा जल विवाद: क्यों बना मुद्दा
दिल्ली की जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा हरियाणा से आता है। हरियाणा से बहकर आने वाली यमुना नदी ही राजधानी की जल आवश्यकताओं को पूरा करने का मुख्य स्रोत है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह जल विवाद लगातार बढ़ता गया है।

- पानी की मात्रा को लेकर विवाद – दिल्ली सरकार का आरोप रहा है कि हरियाणा पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं छोड़ता, जिससे राजधानी में जल संकट गहराता है।
- पानी की गुणवत्ता पर टकराव – आम आदमी पार्टी का कहना है कि हरियाणा सरकार यमुना के पानी में अमोनिया मिला रही है, जिससे दिल्ली में जहरीला पानी आ रहा है। दूसरी ओर, हरियाणा सरकार इन आरोपों को निराधार बताती रही है।
- राजनीतिक बयानबाजी – चुनावों के दौरान इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा पर जल संकट का ठीकरा फोड़ा तो हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पलटवार करते हुए केजरीवाल पर झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाया।

चुनावी रणभूमि में जल संकट का प्रभाव
चुनावी माहौल में इस जल विवाद ने नया मोड़ ले लिया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चुनाव प्रचार के दौरान यमुना का पानी घड़े में भरकर बैलगाड़ी पर प्रचार किया और दावा किया कि हरियाणा से आने वाला पानी पूरी तरह साफ है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से 10 साल पहले यमुना को स्वच्छ करने का वादा किया था, लेकिन आज भी पानी प्रदूषित है।
क्या भाजपा सरकार के बनने से विवाद खत्म होगा?
अब जब दिल्ली में भाजपा सरकार बनने जा रही है तो उम्मीद की जा रही है कि इस जल विवाद का समाधान निकल सकता है। हरियाणा और दिल्ली दोनों में भाजपा की सरकार होने से समन्वय आसान होगा। अब यह मुद्दा विपक्ष बनाम सत्ता पक्ष की लड़ाई नहीं रहेगा, बल्कि दोनों राज्यों की सरकारें मिलकर हल निकाल सकती हैं। दोनों सरकारें मिलकर यमुना के जल प्रबंधन, पानी के शुद्धिकरण और आपूर्ति संबंधी तकनीकी पहलुओं पर काम कर सकती हैं।